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VVPAT काउंट पर RTI की जानकारी क्यों नहीं दे रहा चुनाव आयोग? 

लोकसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी जिसकी है उसके पास लोकसभा चुनाव से जुड़ी इतनी जरूरी जानकारी नहीं है!

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद

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द क्विंट ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान VVPAT के डिटेल और कॉपी की मांग करते हुए चुनाव आयोग के पास एक आरटीआई दायर की. अपने जवाब में, चुनाव आयोग ने इस आधार पर VVPAT की डिटेल साझा करने से इनकार कर दिया कि ये चुनाव आयोग मुख्यालय के पास उपलब्ध नहीं है. आयोग ने हमें VVPAT काउंट की जानकारी के लिए सभी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों के पास अलग-अलग आरटीआई दाखिल करने के लिए कहा.

2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2019 लोकसभा चुनावों में हर EVM को VVPAT मशीन से जोड़ा गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि वोटर को ये पता चल सके कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, दरअसल वोट उसी को दर्ज हुआ है. VVPAT और EVM के मिलान को लेकर लोकसभा चुनाव 2019 के समय भी खूब हंगामा मचा था. काउंटिंग खत्म होने के बाद चुनाव आयोग ने ऐलान किया था कि पूरे देश में ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया जिसमें EVM और VVPAT की गिनती में अंतर दिखा हो.
लोकसभा चुनाव 2019 का मतदान केंद्रवार आंकड़ा आयोग के पास उपलब्ध नहीं है. ये सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सीईओ के पास उपलब्ध हो सकता है. आप अलग से आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन जमा करके राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सीईओ के ऑफिस से जानकारी ले सकते हैं. आपका एप्लीकेशन उन्हें ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है क्योंकि एक से ज्यादा पीआईओ आरटीआई अधिनियम, 2005 के यू/एस 6 (3) में शामिल हैं.
VVPAT की RTI के जरिए जानकारी मांगने पर चुनाव आयोग का जवाब

हमें यकीन नहीं हुआ कि लोकसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी जिसकी है उसके पास लोकसभा चुनाव से जुड़ी इतनी जरूरी जानकारी नहीं है सो हमने चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट को खंगाला. वेबसाइट पर हमें इस बात के दो संकेत मिले, जिससे लगता है कि चुनाव आयोग हमें गुमराह कर रहा है.


  • दरअसल चुनाव आयोग की वेबसाइट पर हमें एक सर्कुलर मिला जो उसने राज्यों के चीफ इलेक्शन ऑफिसरों को भेजा था. इसमें आयोग ने कहा था कि काउंटिंग खत्म होने के 7 दिन के अंदर सीइओ VVPAT काउंट का डेटा चुनाव आयोग को दें.
  • चुनाव आयोग ने ये सर्कुलर 15 अप्रैल, 2019 को जारी किया था. वोटों की गिनती से ठीक दो दिन पहले 21 मई, 2019 को चुनाव आयोग ने एक और सर्कुलर जारी किया था जिसमें सभी राज्यों और UTS के चीफ इलेक्शन ऑफिसर को कहा गया था कि वे चुनाव आयोग को VVPAT स्लिप वेरिफिकेशन पर सिर्फ विस्तार से रिपोर्ट ही जमा न करें, बल्कि VVPAT स्लिप का काउंट भी बताएं.

चुनाव आयोग क्या छिपाना चाहता है?

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सर्कुलर जारी होने के बाद भी राज्यों से चुनाव आयोग को डेटा नहीं मिला या फिर आखिर चुनाव आयोग के पास डेटा है और वो शेयर नहीं करना चाहता?

EVM के वोटों की गिनती पहले ही सार्वजनिक हो चुकी है ऐसे में क्या EVM और VVPAT के वोटों की गिनती में कोई अंतर है? और क्या इसे चुनाव आयोग छिपाना चाहता है?

अलग-अलग CEO के पास क्यों दें अर्जी?

चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा है कि हमें VVPAT काउंट के लिए सभी राज्यों के चीफ इलेक्शन ऑफिसर्स को अलग से RTI दाखिल करनी चाहिए. जबकि चीफ इंफॉर्मेशन कमीशन ने 16 जून 2011 को अपने आदेश में कहा था कि ये जिस पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर से जानकारी मांगी जा रही है अगर उसे 50 या 100 पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर से भी जानकारी लेकर देनी पड़े, तो दे.

द क्विंट चुनाव आयोग के जवाब पर एक याचिका पहले ही दाखिल कर चुका है और अब हम इसे सेंट्रल इनफॉर्मेशन कमीशन तक ले जाएंगे. और अगर जरूरत पड़ी तो, हम पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराएंगे और गुमराह करने वाली जानकारी देने के लिए उन्हें सजा देने की मांग करेंगे.

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