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इंजीनियरों को नहीं मिल रही जाॅब,स्किल की कमी या बेरोजगारी समस्या?

क्या स्किल की कमी है बेरोजगारी की असली वजह?

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

29 साल के अभिनव पाठक 2013 से 4*4 फीट के कमरे में रह रहे हैं. अभिनव नौकरी के लिए परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. अभिनव ने 6 साल पहले ही गाजियाबाद के एक प्राइवेट कॉलेज से बी टेक किया था, तभी से वो नौकरी की तलाश में हैं.

एक भी कंपनी हमारे कैंपस में नहीं आई. कॉलेज के बाहर कंपनी केवल उन्हीं को बुलाती है जिनके पास रेफरेंस होता है
अभिनव पाठक, बी टेक (2013) 

जब अभिनव ने देखा कि बैंकिंग और दूसरे सरकारी विभागों में वैकेंसी निकल रही हैं तो उन्होंने उनके लिए भी तैयारी की, लेकिन नौकरी फिर भी नहीं मिली.

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ये कहानी अकेले अभिनव की ही नहीं है. अभिनव जैसे कई युवा हैं जो जॉब नहीं मिलने की वजह से काफी परेशान हैं.

24 साल  के नीरज बिहार के मधेपुरा से हैं. 2017 में राजस्थान के एक सरकारी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की लेकिन बीटेक डिग्री होने के बावजूद नीरज अब भी नौकरी ढूंढ रहे हैं. मजबूरन नीरज को 5,000 रुपये महीने पर पार्ट-टाइम जॉब करनी पड़ी.

मैंने देश के टॉप 50 कॉलेजों में से एक में पढ़ाई की. राजस्थान में मेरे कॉलेज की रैकिंग दूसरी है. फीस देने के लिए हमारी जमीन बिक गई. पिता ने यहां तक कहा - मुझे नौकरी नहीं मिली तो वो सुसाइड कर लेंगे. मेरे कॉलेज में प्लेसमेंट की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार ही नहीं था. मैं तो चपरासी की नौकरी करने के लिए भी तैयार हूं
नीरज, बी टेक (2017) 
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साफ है देश में जिस तादाद में इंजीनियर बन रहे हैं, उस तादाद में नौकरियां नहीं पैदा हो रहीं. जॉब मार्केट में मंदी मौजूदा सरकार से एक बड़ी शिकायत है. लेकिन मसले और भी हैं.

‘इंजीनियरिंग के छात्रों में स्किल की कमी भी समस्या’

2017 में 'एस्पायरिंग माइंड्स' की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 95% भारतीय इंजीनियर साॅफ्टवेयर संबंधी जाॅब के लायक नहीं हैं. केवल 2.5 प्रतिशत भारतीय इंजीनियरों के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में स्किल है. रिपोर्ट बताया गया कि 37.7% भारतीय इंजीनियर एक कोड तक सही नहीं लिख सकते हैं, चीन के लिए यही आंकड़ा 10.35 प्रतिशत है.

तो किया क्या जाए? रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. पाठ्यक्रमों को आधुनिक बनाकर हम छात्रों की मदद जरूर सकते हैं. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ( AICTE) को समय की मांग के मुताबिक पाठ्यक्रम में कदम उठाने की जरुरत है. सिलेबस में संशोधन करने की जरूरत है ताकि अभिनव और नीरज जैसे छात्र बेरोजगार ना रहें.

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