वीडियो एडिटर: अभिषेक वर्मा
गुजरात में एक अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को हिरासत में हुई मौत के 30 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई. ये मामला 1990 का है जब भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे.
संजीव भट्ट ने साल 1988 में गुजरात काडर से आईपीएस जॉइन किया था. भट्ट उस वक्त भी सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने 2002 गुजरात दंगे में नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाए.
संजीव की पत्नी श्वेता भट्ट ने क्विंट से कहा, "हम केस की सुनवाई से संतुष्ट नहीं हैं. मेरे पति एक ईमानदार अफसर थे. उनके खिलाफ पुख्ता गवाह भी नहीं हैं. हम इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे."
वो भट्ट को मिली सजा के पीछे राजनीतिक साजिश होने की बात कहती हैं.
गलत तरीके से पेश करना, निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने देना, सुनवाई के लिए जो डॉक्युमेंट चाहिए वो नहीं देना, प्रॉसिक्यूशन के गवाहों को खत्म कर देना. 300 में से 30 बुला कर बात खत्म कर देना. हमारे डिफेंस विटनेस को बुलाने ही नहीं देना...कोई कानूनी कारण ही नहीं है. आप हर एक ऑर्डर देख लीजिए उसका तथ्यों से कोई लेना-देना ही नहीं है.श्वेता भट्ट
कोर्ट के फैसले के मुताबिक इस केस में पीड़ित की मौत बहुत ज्यादा अंदरूनी चोट की वजह से हुई जिससे उसके गुर्दे फेल हो गए थे लेकिन श्वेता के मुताबिक उन्होंने मेडिकल एक्सपर्ट से बात की जो कुछ और ही कह रहे हैं.
“डॉक्टर एचएल त्रिवेदी जो बहुत जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट हैं, उनका कहना था कि ये किडनी फेलियर हिरासत की वजह से नहीं हुआ है.”
‘IPS अफसरों को एकजुट होना चाहिए’
श्वेता का कहना है कि उन्हें कई अफसरों के फोन आते हैं जो सहानुभूति जताते हैं, उनके साथ हैं, लेकिन कोई खुल कर सामने नहीं आ रहा.
भट्ट को मिली सजा दुख की बात है.. सिर्फ संजीव भट्ट और उसके परिवार के लिए ही नहीं, ये हर अफसर और उसके परिवार के लिए है. कुछ भी हो सकता है, किसी के भी साथ हो सकता है और सभी अफसर अभी साथ नहीं आएंगे तो कब आएंगे? वो उनमें से ही एक है. इस फैसले से भविष्य में IPS काडर का हर अफसर प्रभावित होगा.श्वेता भट्ट
वीडियो में देखिए श्वेता भट्ट के साथ पूरी बातचीत.
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