वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
देश के चुनावी मिजाज को टटोलने के लिए पत्रकार कोने-कोने में घूम रहे हैं. इसी सिलसिले में वाराणसी पहुंचे पत्रकार रवीश कुमार से क्विंट ने खास बातचीत की और समझना चाहा कि वाराणसी का मिजाज क्या कह रहा है?
टीवी पर दिखने वाले और जमीन पर दिखने वाले वाराणसी में क्या अंतर है?
टीवी में जैसा दिखना चाहिए वैसा ही यहां काम किया गया है. रात में टावर पर लाल,पीले, हरे रंग की रोशनी चमक रही है, तो आपको लगता है कि पेरिस जैसी व्यवस्था है. शहर पहले से ठीक लग रहा है. डिवाइडर लग गया है लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वही हालात हैं. लोगों को लगता है कि एयरपोर्ट से आने के लिए रास्ता बन गया है. रेलवे स्टेशन चमक गया है. लेकिन क्या इतने के लिए ही हमने क्योटो की बातें की थी.
रवीश कुमार का कहना है कि “काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए पीएम ने कहा था कि उन्होंने काशी को मुक्त करा दिया है. ये अच्छी बात है कि लोग मुक्ति के लिए काशी आते हैं और पीएम ने काशी को ही मुक्ति दिलाई है. ऐसा इतिहास में कम लोग ही करते हैं”
अखिलेश यादव और मायावती के कैंपेन ट्रेल के दौरान रवीश कुमार की फोटो को लेकर मच रहे बवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा-
मुझ पर आरोप लग रहे हैं कि मैंने पत्रकारिता बेच दी है. जिन्होंने पत्रकारिता बेची है उसका फोटो लाल करो. जिन्होंने 90% पत्रकारिता बेच दी है और जिनके साथ प्रधानमंत्री दिन-रात बैठ कर इंटरव्यू दे रहे हैं, उनका फोटो लाल करो. मेरा फोटो बाद में लाल करना. मुझे इन सब से फर्क नहीं पड़ता.रवीश कुमार, पत्रकार
अपने ऊपर लग रहे पक्षपात के आरोपों पर रवीश कुमार के कहा- “मैं नहीं बीजेपी करती है पक्षपात. बीजेपी ने मेरा बहिष्कार किया. उसके पास सत्ता है और उन्होंने मेरा बहिष्कार किया है. मेरे कार्यक्रमों में नहीं आते हैं. क्या एक सत्ताधारी पार्टी को एक व्यक्ति का बहिष्कार करना चाहिए. ये किस तर्क से उचित है? वे एक व्यक्ति से घबरा गए हैं.”
रवीश कुमार के मुताबिक यूपी बिहार के नौजवानों में टैलेंट की कमी नहीं है. राजनीतिक बहस में कॉलेज, शिक्षा और अन्य चीजों के हालात के बारे में बात करें. राजनीति में आए नौजवान सबसे पहले हिन्दू- मुस्लिम करना छोड़ दें . इससे घरों में दंगाई पैदा होते हैं. डॉक्टर पैदा नहीं होते हैं. सांप्रदायिकता इंसान को मानव बम में बदल देता है.
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