दुनियाभर में कोरोना की दहशत के बीच भारत मे जियो और फेसबुक की एक डील हुई, जिसने पूरे बिजनेस जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा. इस मेगा डील की क्या खास बातें हैं और आगे इस डील से क्या फायदा होगा, इसे समझने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने एयरटेल के सीईओ रहे संजय कपूर से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि आखिर फेसबुक ने क्यों जियो से इतनी बड़ी डील की है.
जहां फेसबुक अपने वॉट्सऐप ट्रांजेक्शन के लिए स्ट्रगल कर रहा था. उसका सिर्फ ऐड रेवेन्यू का मॉडल था. वहीं रिलायंस के पास ई-कॉमर्स में घुसने के लिए टेक्नोलॉजी नहीं थी. तो इस डील का क्या मतलब है?
इस मुश्किल दौर में अगर इतनी बड़ी डील का ऐलान होता है तो ये अपने आप में ही एक बड़ी वाहवाही की बात है. इसके लिए रिलायंस और फेसबुक को बधाई. रिलायंस ग्रुप की तरफ से जारी वीडियो को देखते हुए यही दिमाग में आता है कि ज्यादा से ज्यादा एप्लीकेशन जिनकी बात हो रही है उनमें सबसे आगे वॉट्सऐप ही है. क्योंकि यहां छोटे व्यवसाय के भले की बात हो रही है. अगर उनका भला होना है तो वॉट्सऐप के जरिए ही ऐसा मुमकिन है.
लेकिन अब तक वॉट्सऐप पे को भारत में इंटरप्राइज ट्रांजेक्शन के लिए परमिशन नहीं मिली है?
आप ठीक कह रहे हैं, क्योंकि ये हिंदुस्तान में इतनी बड़ी ऐप्लीकेशन है कि करोड़ों लोग वॉट्सऐप देखते हुए ही लोग रात को सोते हैं और सुबह इसे देखते हुए ही अपनी आंखें खोलते हैं. ऐसी ताकत किसी भी ऐप्लीकेशन में नहीं है. लेकिन इन्हें इंडिया के डिजिटल पेमेंट ईको-सिस्टम में दाखिला नहीं मिल रहा था. अब इसके बाद वॉट्सऐप को ये परमिशन मिल जाएगी. ये दोनों के लिए ही सेफ इनवेस्टमेंट है.
फेसबुक के पास सब्सक्राइबर थे लेकिन ट्रांजेक्शन नहीं था, जियो के पास बहुत बड़ा सब्सक्राइबर बेस है, लेकिन रेवेन्यू कम था. अब वो दुकानदारों से हर ट्रांजेक्शन पर चार्ज कर पाएंगे और क्या वही रेवेन्यू का जरिया होगा?
हां ऐसा सुनने में आया है कि उनकी ई-कॉमर्स की जो एंट्री है, उसमें वो छोटे किराना स्टोर्स को डील करेंगे और उसके जरिए कस्टमर्स तक पहुंचेगे. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि फेसबुक की ये डील एक्सक्लूजिव डील नहीं है. लेकिन फिर भी इससे जियो को कई एडवांटेज मिलेगी. अगर ये प्लेटफॉर्म उनके जियो मार्ट में इस्तेमाल होता है तो उसका स्केल पहले दिन से ही बहुत बड़ा होगा और उसमें से रेवेन्यू भी मिलेगा.
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