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जानिए क्यों फ़ैज़ की ‘इंकलाबी शायरी’ दिलों में अमर रहेगी? 

आज फ़ैज़ की सालगिराह के मौके पर, जानिये फ़ैज़ को और क़रीब से.

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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ - लेखक, पत्रकार, और एक ऐसे इंसान के तौर पर जाने जाते हैं, जो दर्जनों भाषाओं में महारथ रखते थे. वो एक ऐसे शायर थे जिनकी शायरी हमेशा उन लोगों के हक में बोलती रही है, जिन्होंने नाइंसाफी और जुल्म झेले हैं. 'हम देखेंगे' और 'बोल के लब आज़ाद हैं तेरे' नज़्मों के अलावा भी, फ़ैज़ इंकलाबी शायरी और रूमानी शायरी का एक ऐसा ज़खीरा छोड़ के गए हैं, जिन्हें पढ़कर दिल को सुकून और यकीन मिलता है.

आज फ़ैज़ की सालगिराह के मौके पर, जानिए फ़ैज़ को और क़रीब से. जुड़िये हमारे साथ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के जन्मदिन पर जानिए उन्हें और उनकी इंकलाबी शायरी को नज़दीक से डॉ. नजमा रहमानी और द क्विंट की फबेहा सय्यद के साथ इस खास मास्टरक्लास में.

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