अगर आपको किसी ग्रामीण इलाके में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड मिले, तो आपको अचंभा तो होगा ही, लेकिन ये बात सही है. गुरुग्राम के हुडा सिटी सेंटर से 13 किलोमीटर दूर एक ऐसी ही दुर्लभ जगह है. यहां आपकी आंखें क्रिकेट के उस मैदान पर टिक जाएंगी, जिसे कम उपजाऊ खेतों को सपाट करके बनाया गया है.
बलियावास और कदरपुर के किसानों ने अपनी जमीन क्रिकेट मैदान बनाने के लिए दे दी.
पेशे से पत्रकार ऋषि राज ने इसकी शुरुआत की. वो एक किसान परिवार से आते हैं और बचपन से ही खेलों में रुचि रही है.
ये खेत बंजर हैं. इसलिए इस पर कुछ खेती नहीं हो सकती.ऋषि राज
ये बिजनेस गुरुग्राम के बढ़ते कॉरपोरेट कल्चर की वजह से शुरू हो पाया है.
हमने गुरुग्राम में क्रिकेट के बढ़ते क्रेज को देखकर ये शुरू किया था. पहले हमारे पास 2 क्रिकेट ग्राउंड थे. अब हमारे पास 5-6 ग्राउंड हैं.ऋषि राज
किसान इन ग्राउंड के लिए अपनी जमीन 3,20,000 रुपये के हिसाब से लीज पर देते हैं. किसानों को तो इससे फायदा है ही, साथ ही पास के इलाकों में रहने वालों को भी यहां काम मिलता है. एक ग्राउंड पर 20-25 लोगों को काम मिलता है. शशांक एक स्टूडेंट है और वो यहां कैंटीन चलाता है. उसकी भी यहां कमाई हो जाती है.
हमें कॉलेज में पैसों की जरूरत पड़ती है. इसिलए मैं हर वीकेंड पर यहां आता हूं और कैंटीन चलाता हूं.शशांक
इस तरह यहां क्रिकेट के फलने-फूलने से उन बच्चों को भी क्रिकेट सीखने को मिल रहा है, जो कोचिंग की फीस नहीं भर सकते.
कैमरा पर्सन: अथर राथर
वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
प्रोड्यूसर: विवेक दास
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
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