कृषि कानूनों और अपनी तमाम मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान अब अपने घरों को लौट रहे हैं. इस दौरान हर प्रदर्शनकारी किसान का अपना खास अनुभव रहा है. हमने ऐसे ही कुछ किसानों से बातचीत की.
हरियाणा के एक किसान अर्जुन सिंह कहते हैं, ''हमने सिर्फ दिल्ली ही नहीं जीती है, हमने लोगों का दिल जीत लिया है.''
अर्जुन और उनके साथी किसान, जो 15 महीने से अधिक समय से दिल्ली के आसपास तीन मुख्य स्थलों- टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, अब घर जा रहे हैं.
किसान 15 महीने से ज्यादा वक्त से कृषि कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित अन्य मुद्दों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
कानूनों को निरस्त करने और केंद्र से एक लिखित मसौदा प्रस्ताव के बाद, किसानों ने घोषणा की थी की वो अपना धरना खत्म कर देंगे और शनिवार, 11 दिसंबर को अपने घरों को लौट जाएंगे.
किसान संगठनों ने शनिवार को फतेह अरदास (विजय प्रार्थना) की और फिर घर की और वापस होकर अपना फतेह मार्च (विजय मार्च) शुरू किया.
सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के किसान नेता सुबह कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे (केएमपी) के पास इकठ्ठा हुए और पंजाब की ओर मार्च शुरू किया. टिकरी बॉर्डर पर किसान नेता बहादुरगढ़ के किसान चौक पर जमा हुए थे.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "लोगों ने बॉर्डर पहले ही खाली करना शुरू कर दिया है, इसमें 4-5 दिन लगेंगे. मैं 15 दिसंबर को निकलूंगा."
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