ADVERTISEMENTREMOVE AD

आर्टिकल 370 बिन, 365 दिन: कश्मीर में मेरी जिंदगी

आर्टिकल 370 निरस्त किए जाने के बाद कश्मीरियों का जीवन कैसे बीत रहा, क्विंट ग्राउंड रिपोर्ट

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रोड्यूसर: त्रिदीप के मंडल
कैमरापर्सन: सैयद शहरयार
वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को संविधान से मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया गया था. आर्टिकल 370 और 35A को निरस्त कर दिया गया. एक साल बाद देखने की कोशिश करते हैं कि वहां के लोगों की जिंदगी में इसका क्या असर हुआ और उनके लिए क्या कुछ बदला.

हाउस बोट चलाने वाले आरिफ उस वक्त को याद करते हुए बताते हैं कि हमें लगा की आतंकी खतरा है, लेकिन सरकार तो कुछ और ही सोच रही थी.

ये मुझे पूरी जिंदगी याद रहेगा, जब तक मैं मर नहीं जाता, तब तक याद रहेगा. जैसा कि सरकार ने कहा था कि अमरनाथ यात्रा को खतरा है तो उन्होंने हाउस बोट टूरिज्म बंद कर दिया. लेकिन टूरिस्ट आ रहे थे तो हमें लगा कि वाकई में खतरा है. लेकिन उन्हें आर्टिकल 370 हटाना था.
आरिफ, उद्यमी

गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक उस वक्त करीब 144 नाबालिक समेत 6,605 लोगों को हिरासत में लिया गया. द फोरम ऑफ ह्युमन राइट्स इन जम्मू-कश्मीर के मुताबिक अभी भी 400 लोग कस्टडी में हैं.

स्कूली छात्र मुर्सलीन अब्बास मीर बताते हैं कि हमारा स्कूल में ग्रुप था. कुछ दोस्त थे, हम लोग चर्चा करने लगे कि क्या होगा अगर स्कूल बंद हो गए. हम कैसे मिल पाएंगे. वो स्कूल में हमारा आखिरी साल था. उसके बाद हम 9 महीने घर में ही रहें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हर सुबह मुनीर आलम श्रीनगर के ईदगाह ग्राउंड पर अपनी ओपन स्कूल का सेटअप लगाते हैं. उनके हिसाब से पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए यही एक रास्ता है.

अफसोस मुझे ये कहना पड़ रहा है कि 5 अगस्त 2019 से शिक्षा व्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है. अगर आप मेरे स्टैट्स को देखें तो हम 15 दिन भी बच्चों को नहीं दे पाए हैं. आप ये सब नहीं झेल सकते, ये ट्रॉमा बच्चों में डर, उनका डिप्रेशन लेवल, हड़ताल, कर्फ्यू, मीडिया गैग, ई-कर्फ्यू, इन सब का असर शिक्षा पर पड़ा है. आपको शांति नहीं मिल रही, आपके घर के बाहर तार लगे हैं. ऐसे में कैसे आपके बच्चे का सही से मानसिक विकास होगा?
मुनीर आलम, टीचर

कम्युनिकेशन और इंटरनेट ब्लैकआउट की वजह से जम्मू-कश्मीर में ऑनलाइन पढ़ाई भी संभव नहीं है. द फोरम ऑफ ह्युमन राइट्स इन जम्मू-कश्मीर के मुताबिक आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन से करीब 40,000 करोड़ का नुकसान हुआ है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2020 के वसंत में लोकल फोटो जर्नलिस्ट मसरत जहरा को UAPA के तहत हिरासत में लिया गया. गौहर गिलानी पर भी UAPA लगा था.

2 जून 2020 को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और मीडिया के अन्य माध्यमों पर 'फेक न्यूज, साहित्यिक चोरी और अनैतिक या ‘देश विरोधी कंटेंट' की देखरेख के लिए नई मीडिया पॉलिसी प्रकाशित की.

गायक-लेखक नर्गिस खातुन का कहना है कि 5 अगस्त 2019 के बाद से हम बहुत पिछड़ गए हैं. 4-5 महीने से COVID-19 चल रहा है, जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. लेकिन कश्मीर पूरी दुनिया से 4- 5 महीने पीछे चल रहा है. हमारे लिए दुनिया नहीं रुकने वाली है. हम पहले ही बहुत पीछे हैं और अब हम जहां पहले थे उससे भी काफी पीछे चले गए हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×