उसने उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ जंग लड़ी. उसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली. उसने लंदन में रैंप वॉक कर तालियां बटोरीं. लेकिन एसिड अटैक झेल चुकी लक्ष्मी आज आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं. वो अपनी तीन साल की बच्ची का स्कूल में दाखिला तक नहीं करा पा रही हैं.
क्विंट से खास बातचीत में लक्ष्मी ने अपनी फाइनेंसियल प्रॉब्लम से लेकर दूसरी एसिड अटैक पीड़िताओं को आर्थिक मदद देने की बात की. एक बेटी को अकेले पाल रहीं 30 साल की लक्ष्मी ने सरकार से मदद की मांग की है. वो चाहती हैं कि उन्हें सरकारी नौकरी मिले.
लक्ष्मी फिलहाल दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में दो कमरों के घर में रह रही हैं.
मेरे पास कोई प्राॅपर जॉब नहीं है. कमाने का कोई जरिया नहीं है, जिससे मैं अपने घर का 10 हजार रुपये का किराया दे पाऊं. मेरी बेटी अभी 3 साल की है, मैं उसे स्कूल नहीं भेज पा रही हूं. आज पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई है.लक्ष्मी अग्रवाल, एसिड अटैक पीड़िता
2005 में एसिड अटैक के बाद लक्ष्मी को उस हादसे से उबरने में समय लगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, कुछ समय बाद उन्हें अपनी जिंदगी का प्यार मिला. अपने पार्टनर आलोक दीक्षित के साथ उन्होंने 'स्टॉप एसिड अटैक' कैंपेन लॉन्च किया. लेकिन, कुछ परेशानियों की वजह से दोनों जल्द ही एक दूसरे से अलग हो गए.
वो बताती हैं-
मेरी जिंदगी का कुछ हिस्सा थोड़े समय के लिए अच्छा रहा और उसके बाद, बहुत सी ऐसी चीजे थीं जो बदलती चली गईं. उनके (पूर्व पार्टनर) और मेरे स्वभाव में काफी फर्क था कुछ चीजें ऐसी थीं जो मैच नहीं करती थी. मुझे ये भी लगता है कि अगर सारे इंसान मैच होने लगे तो ये दुनिया नहीं चल पाएगी, तो हमें कभी भी अपनी सोच को किसी के लिए थोपनी नहीं चाहिए.लक्ष्मी अग्रवाल, एसिड अटैक पीड़िता
सितंबर में एक अखबार में लक्ष्मी की आर्थिक तंगी को लेकर छपी रिपोर्ट के बाद कई लोग और कंपनी ने उन्हें मदद की पेशकश की. लेकिन लक्ष्मी थोड़ी देर की खुशी के लिए समझौता करना नहीं चाहतीं.
मेरे बारे में स्टोरी आई और शाम को एक कॉल आया कि लक्ष्मी आपके लिए अच्छी खबर है मैंने पूछा क्या? उन्होंने कहा कि अक्षय कुमार आपको 5 लाख रुपए की मदद के साथ सपोर्ट करना चाहते हैं.
बहुत सारे लोगों की कॉल आ रही है और मैं बहुत धन्यवाद करती हूं उनका जो कहते हैं कि हम आपको जॉब देना चाहते हैं. लेकिन वो कुछ महीने, कुछ साल के लिए है. मेरे लिए परमानेंट जॉब के लिए क्या है? मेरी विनती सरकार से है कि वो आगे बढ़े और ये कदम उठाए और मुझे एक सरकारी नौकरी दे जो मेरी जिंदगी बदल सके और जिससे मुझे ये महसूस हो सके कि मैं अब यहां स्थाई रूप से नौकरी करने लगी हूं.लक्ष्मी अग्रवाल, एसिड अटैक पीड़िता
अपने साथ हुए हादसे को लेकर लक्ष्मी कहती हैं कि, 'ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है'
आज जब मेरे साथ ये हो रहा है तो ये किसी के भी साथ हो सकता है. मैं इतनी मशहूर हूं तो मेरी बात को सुना जा रहा है, ये फैक्ट है. बहुत अच्छी बात होगी कि अगर उन सभी एसिड अटैक की पीड़िताओं को भी मदद मिल सके जैसे मुझे मिल रही है.
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