आखिर मर्द रेप क्यों करते हैं. क्या वो संस्कृति, प्यार या रक्षा के नाम पर करते हैं. या फिर इसलिए क्योंकि वो सिर्फ मर्द हैं?
16 दिसंबर 2016 को पूरे देश को एक झटका लगा. फिजियोथेरेपी की एक 23 साल की स्टूडेंट से बुरी तरह रेप किया गया, जिसकी बाद में मौत हो गई. इस घिनौनी घटना से पूरा देश रुक सा गया. प्रोटेस्ट हुए, कैंडल मार्च निकले, लोगों ने बहुत गुस्सा दिखाया.
इसके बाद नए कानून बनाए गए. लेकिन इतने सालों बाद भी कुछ बदला है.
दास्तान-ए-रेप
दास्तानगोई एक पुरानी कला है. क्विंट इसे डिजिटल स्टोरीटेलिंग के जरिए जिंदा रखने की कोशिश कर रहा है. 'दास्तान' में किस्से-कहानियों को सुनाया जाता है. दास्तान, 13 वीं सदी की दास्तानगोई से ईजाद हुई है. इसे दास्तानगो सुनाता है.
दास्तान-ए-रेप में हम बताने की कोशिश करेंगे कि मर्दों से रेप क्यों हो जाता है. ‘उनसे रेप हो जाता है’ नाम की इस दास्तान को परफॉर्म किया है फौजिया दास्तानगो और नीलिमा चौहान ने. बता दें फौजिया एकमात्र महिला दास्तानगो हैं, जो भारत में इस कला को जिंदा रखे हुए हैं.
वो रेप करते नहीं
उनसे रेप हो जाता है
वो हमारे वजूद से डरते नहीं
वो हमारे उठने से गिरते नहीं
वो हमारे फैलने से सिकुड़ते नहीं
बस और बस..उनसे रेप हो जाता है
वो हमारे फैसलों पर बिफरते नहीं
वो हमारे चमकने से चौंधियाते नहीं
वो हमारे खिलने से मुरझाते नहीं
बस और बस..उनसे रेप हो जाता है
वो हमारे बढ़ने से पिछड़ते नहीं
वो हमारी आग से दहकते नहीं
वो हमारी ना से
वो हमारी ना से बिफरते नहीं
बस.. उनसे रेप हो जाता है
वो हमारे अहम से फूंकते नहीं
वो हमारी परवाज से सनकते नहीं
वो हमारी दानिशमंदी से ठिठकते नहीं
बस..उनसे रेप हो जाता है
वो हमारी तकरीर में उलझते नहीं
वो हमारे तिलिस्म में फिसलते नहीं
वो हमारे अड़ने से उखड़ते नहीं
बस..उनसे रेप हो जाता है
वो हमारे हुनर से
वो हमारे हुनर से तुनकते नहीं
वो हमारी सरपरस्ती से खौफ खाते नहीं
वो हमारे हुजूम से कतराते नहीं
बस और बस..उनसे रेप हो जाता है
प्यार उर्फ हिफाजत उर्फ तहजीब के नाम पर
उनसे रेप हो जाता है
इंसाफ वल्द सबक वल्द धर्म के नाम पर
उनसे रेप हो जाता है
वीर्य उर्फ ताकत वल्द सियासत के नाम पर
उनसे रेप हो जाता है
शान वल्द जात के नाम पर
उनसे रेप हो जाता है
कौम उर्फ सरहद वल्द मुल्क के नाम पर
उनसे रेप हो जाता है
क्योंकि वो मर्द हैं इसलिए उनसे बात-बेबात
हर बार, बार-बार, बार-बार रेप हो जाता है
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