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जश्न ए रेख्ताः ‘तहजीब का चश्मा है उर्दू’

हमें गर्व है कि उर्दू भाषा का जन्म भारत में हुआ और ये भारत की जबान है

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उर्दू के जश्न को समर्पित समारोह “जश्न-ए-रेख्ता” से राजधानी एक बार फिर गूंज रही है. दुनिया भर के 100 से अधिक लेखक, कवि, कलाकार, साहित्यकार, गायक और कई दिग्गज हस्तियां ऊर्दू की नजाकत बता रहे हैं.

उर्दू का ये जश्न नई दिल्ली में 8 से 10 दिसंबर के दौरान मनाया जा रहा है. यह जश्न-ए-रेख्ता का चौथा भाग है. इसके फाउंडर संजीव सराफ ने क्विंट से विशेष बातचीत में कहा कि रेख्ता फाउंडेशन ने उर्दू जबान को एक नई पहचान दी और उर्दू की कविताओं को एक बार फिर से नयापन देने में कामयाब हुआ है. उन्होंने उर्दू पर विस्तार से बातचीत की. उन्हीं की जुबान में जानते हैं उर्दू और इस फाउंडेशन के बारे में-

महात्मा गांधी ने कहा था " मुझे गर्व है कि उर्दू भाषा का जन्म भारत में हुआ और ये भारत की जबान है. इसकी 70 प्रतिशत शब्दावली भारत के उपमहाद्वीप से हैं साथ ही व्याकरण और वाक्य-रचना भी. जो लोग हिंदी बोलते और समझते हैं वो आसानी से उर्दू भाषा भी बोल और समझ लेते हैं.

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उर्दू के प्यार की खातिर

मैं अंतहीन उर्दू के बारे में बात कर सकता हूं कि उर्दू जुबान लोग का दिल और दिमाग किस तरह छू जाती है, जो भी इसकी संगत में रहते हैं. ये किसी भी दूसरी भाषा की तुलना में ज्यादा साहित्य, संगीत, फिल्म, कला, नाटक, नृत्य, और कहानी कहने में मददगार होती है.

हमें गर्व है कि उर्दू भाषा का जन्म भारत में हुआ और ये भारत की जबान है
मिर्जा गालिब
(फोटो: Rahul Gupta/The Quint)
हिंदुस्तानी, जैसा कि हम इसे बोलचाल की भाषा में जानते हैं, कश्मीर से मैसूर तक और पंजाब से बिहार तक ये हमारे महान देश में फैली हुई है, यह हमारे जीवन का एक हिस्सा है. भारतीय दंड संहिता, भूमि अभिलेख, यहां तक ​​कि संसद की कार्यवाही भी इसका इस्तेमाल होता है

रेख्ता फाउंडेशन ने उर्दू जबान को एक नई पहचान दी और उर्दू की कविताओं एक बार फिर से नयापन देने में कामयाब हुआ

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जश्न- ए- रेख्ता मिशन

Rekhta.org के जरिए हम लोगों तक पहुंचे. ये दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन पेज है जहां आपको उर्दू की कविताएं, साहित्य मिलेंगी जो फारसी,देवनागरी और रोमन जुबान में आपको मिलेगी. यहां आपको 25,000 हजार गजल और 2600 हजार नज्म मिलेंगी. पूरी दुनिया में इसके 18 मिलियन रीडर हैं.

हमरा मकसद है लोगों को उर्दू के बारे में जागरूक करना, उन्हें उर्दू लिखना और पढ़ना सिखाना. इसके लिए हमने एक ऑनलाइन उर्दू पोर्टल ‘आमोजिश’ शुरू किया है. आमोजिश उर्दू सीखने का एक नया तरीका है.

रेख्ता फाउंडेशन समय-समय पर उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करवाता रहता है. साथ ही उर्दू साहित्य और संस्कृति की तरफ युवाओं को आकर्षित करने के लिए हर साल जश्न-ए-रेख्ता समारोह का आयोजन करवाता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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