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डॉक्यूमेंट्री: लव के खिलाफ ‘ऑपरेशन जिहाद’

एक डॉक्यूमेंट्री जो भारत में ‘लव जिहाद ’ कैंपेन की राजनीति और इसकी क़ीमत को दिखाता है 

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क्रिएटिव प्रोड्यूसर: प्रशांत चौहान

कैमरा: अभिषेक रंजन/शिव कुमार मौर्य/अथर राथर

इलस्ट्रेशन: इरम गौर

एडिटोरियल इनपुट: आदित्य मेनन/त्रिदीप के मंडल

एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर: रितु कपूर

"क्या आपको लगता है कि गो मांस खाने वाले और गाय को पवित्र मानने वाले के बीच प्यार हो सकता है?"

विजयकांत चौहान, जो खुद को ‘लव जिहाद गुरु ’कहते हैं, उन्होंने सहारनपुर में एक कोचिंग सेंटर में कक्षा 12 के छात्रों से पूछा.

छात्रों ने एक साथ सिर हिलाया - "नहीं"

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स्थानीय गौशाला के मालिक विजयकांत पर कथित तौर पर 150 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. उनका दावा है कि उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे पहले लव जिहाद की साजिशों को उजागर किया था.

ज्याद दूर जाने की जरूरत नहीं, उत्तर प्रदेश के एक और शहर, मुरादाबाद में, एक 22 साल की महिला ने अपने अजन्मे बच्चे की मौत से दुखी है, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून की वजह से उसका पति राज्य में नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत जेल चला जाता है,

जुलाई 2020 में राशिद से शादी करने के बाद मुस्कान ने अपना नाम बदलकर पिंकी कर लिया. उनके मुताबिक, देहरादून में काम करने के दौरान इस कपल को प्यार हो गया, उन्होंने शादी करने का फैसला किया और लॉकडाउन बिताने के लिए मुरादाबाद में राशिद के गृहनगर लौट आईं. लेकिन, उनकी ज़िंदगी बदल गई जब वो 5 दिसंबर को अदालत में अपनी शादी का पंजीकरण कराने गई.

“बजरंग दल के सदस्यों ने हमें अदालत के रास्ते में रोक दिया. उन्होंने डॉक्यूमेंट और मेरे कंवर्जन के प्रूफ मांगे. मैंने उन्हें बताया कि मैं बालिग हूं, मैंने राशिद से शादी की है और अपनी इच्छा से दूसरा धर्म अपनाया है. लेकिन, वो मुझे पुलिस स्टेशन ले गए. ”
मुस्कान

उसके बाद बिजनौर में उनकी मां को बार-बार फोन किया गया, एक सरकारी आश्रय गृह में कथित चिकित्सा लापरवाही के कारण उनका गर्फपात हो गया. उनके पति और उसके देवर के खिलाफ एक पुलिस शिकायत हो गई. इस घटना के एक महीने के बाद, मुस्कान का बजरंग दल के सदस्यों से सिर्फ एक ही सवाल है

“मेरे अजन्मे बच्चे का क्या दोष था?”

‘लव जिहाद’ का कोई सबूत नहीं मिलने के बाद राशिद को जमानत पर रिहा कर दिया गया. अपने पहले बच्चे के लिए संजोए गए सपने को इन्हें दफ़नाना पड़ा. ऐसा ही एक और इंटरफेथ कपल - जिनकी शादी ने 2014 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हिला दिया था - वो अब अपने परिवारों से दूर एक अज्ञात क्षेत्र में रहता है.

शालू ने कलीम पर अपहरण, सामूहिक बलात्कार और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था.

उनका मामला राइट विंग ग्रुप और बीजेपी नेताओं द्वारा ‘लव जिहाद ’के एक उदाहरण के रूप में लिया गया था. 2014 के उपचुनाव से पहले भाजपा के राजनीतिक अभियान में 'लव जिहाद' का ज़िक्र भी मिला.

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लेकिन दो महीने बाद, शालू ने कलीम के साथ शादी कर ली और दावा किया कि उसके पिता ने एक स्थानीय भाजपा नेता से पैसे लेने के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए दबाव डाला था. कलीम को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2015 में जमानत दे दी. उन्होंने उसी साल शादी कर ली.

हम दिसंबर 2020 में मेरठ के पास उनके गांव गए. ये दंपति अब एक अज्ञात इलाके में रहता है और बार-बार कोशिश करने के बावजूद आगे की परेशानी से बचने के लिए मीडिया से बात नहीं करना चाहते हैं .कलीम के परिवार ने हमें बताया कि घटना के बाद से उनकी जिंदगी और रिश्ते बदल गए हैं. लेकिन शालू के पिता ने कहा कि उन्होंने छह साल बाद भी उनकी शादी को स्वीकार नहीं किया है.

“उसने एक या दो बार फोन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे दोबारा फोन नहीं करने के लिए कहा क्योंकि वो हमारे परिवार के लिए अपमानजनक था. हमारे रिश्तेदार और हमारे समुदाय के लोग हमारे साथ संपर्क में नहीं रहना चाहते हैं, जबकि मेरी गलती भी नहीं थी ”
नरेंद्र त्यागी, शालू के पिता

लेकिन फिर भी शालू और कलीम केस के आधार पर राइट विंग ग्रुप लव जिहाद के कॉन्सेप्ट को लाने का क्रेडिट अभी भी लेते रहते हैं.

बजरंग दल के नेता रहे और अब बीजेपी नेता बलराज डूंगर को लगता है कि जैसे 2017 के यूपी चुनाव में हिंदूओं का पलायन चुनावी मुद्दा बन गया था. वैसे ही 2022 चुनाव में ‘लव जिहाद’ भी एक मुद्दा हो सकता है. उनका कहना है कि जब यूपी में समाजवादी पार्टी का राज था तब हिंदुओं से दूसरी तरह से व्यवहार किया जाता था और अब जब बीजेपी का राज है तो अलग तरह से किया जाता है.

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