कैमरापर्सन: नितिन चोपड़ा
वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
शुरू में हमें कैमरे पर आने में अजीब लग रहा था. हम सोच रहे थे कि सब कैसे होगा, लेकिन सब ठीक हो गया.
ऑस्कर विजेता डॉक्यूमेंट्री पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस की लीड हीरो, 23 साल की स्नेह ने क्विंट से बातचीत में हापुड़ में अपने गांव काठी खेड़ा में पीरियड के दौरान होने वाली परेशानियों से जूझने के अपने सफर के बारे में बताया.
इंडिया पर आधारित इस डॉक्यूमेंट्री ने 24 फरवरी को हुए 91वें ऑस्कर अवॉर्ड में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री (शॉर्ट सब्जेक्ट) का अवॉर्ड जीता है.
हापुड़ के एक कॉलेज से होम साइंस में ग्रेजुएशन करने वालीं स्नेह दिल्ली पुलिस में काम करना चाहती हैं. इसके एंट्रेंस एग्जाम के लिए वो तैयारी भी कर रही हैं.
जब उनसे पूछा गया कि वो दिल्ली पुलिस क्यों ज्वॉइन करना चाहती हैं, तो उन्होंने कहा,
क्योंकि शादी से बचना है
सबसे बड़ी बात है कि ये हमारे गांव में पहला रोजगार है, खासकर लड़कियों के लिए. हम काफी उत्साहित थे कि हमारे लिए कुछ आया है. ये मेरी पहली नौकरी है. ये मेरे लिए काफी बड़ी बात थी.स्नेह, लीड, पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस
स्नेह कहती हैं कि उनका परिवार काफी सपोर्टिव था, लेकिन पिछले साल सैनिटरी पैड बनाने वाली0 यूनिट को ज्वाइन करते वक्त उन्हें मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. कई महिलाओं को सैनिटरी पैड बनाने के लिए आलोचनाएं सुननी पड़ीं.
शुरुआत में हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ा. लोगों ने हमसे पूछा कि हमने दूसरी नौकरी छोड़कर इसे क्यों चुना. लोगों ने पूछा, ‘इसमें केवल 2,000 रुपये मिलते हैं. तुमने दूसरी नौकरी क्यों नहीं चुनी?’. सिर्फ मैंने नहीं, हम सभी को ये बातें सुननी पड़ी. बाद में ये नॉर्मल हो गया और हमने इनपर ध्यान देना छोड़ दिया.स्नेह, लीड, पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस
दिल्ली के एनजीओ एक्शन इंडिया ने 'द पैड प्रोजेक्ट' के तहत गांव में सैनिटरी पैड बनाने वाली मशीन लगाई थी. इस मशीन को लॉस एंजलिस के ओकवुड स्कूल के स्टूडेंट्स ने फंड किया है. जब काठी खेड़ा में इस मशीन को लगाया जा रहा था, तब इसपर काफी सवाल खड़े हुए थे.
जब पैड बनाने वाली यूनिट को लगाया गया और हम काम कर रहे थे, तब हमे बताया गया कि कुछ लोग अमेरिका से आ रहे हैं और हमपर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जाएगी. उन्होंने हमसे पूछा कि क्या हम इसके लिए तैयार हैं?
स्नेह ने बताया कि डॉक्यूमेंट्री के लिए करीब 10-15 दिन शूट चला था.
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