वैसे तो कहते हैं कि मछली की आंख पर निशाना साधना तीरंदाजी है, लेकिन मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में ये रोजाना का सट्टेबाजी खेल है.
इसके नियम काफी आसान हैं. किसी को निशाने पर लगे कुल तीर की आखिरी दो संख्या की भविष्यवाणी करनी होती है. उदाहरण के लिए, अगर 1050 तीर निशाने पर लगते हैं, तो जीतने वाला नंबर हुआ 50. इसी तरह अगर 1075 तीर निशाने पर हैं, तो 75 आपकी जीत का नंबर है.
तीर का इतिहास
सदियों से तीरंदाजी मेघालय की ‘खासी’ जनजाति का पांरपरिक खेल रहा है. ऐसा माना जाता है कि 20वीं सदी की शुरुआत में इस खेल पर सट्टा लगना शुरू हो गया था, लेकिन 1980 के दशक की शुरुआत तक सरकार का बैन इस पर लगा रहा. इस बिजनेस से जुड़े बीबी बिस्वास बताते हैं,
तीर को अचानक 1970 में बैन कर दिया गया. हम सभी अपनी फरियाद लेकर शिलॉन्ग हाईकोर्ट गए, लेकिन बैन को रद्द नहीं किया गया. पुलिस ने तीर काउंटर और तीरंदाजी खेलों पर छापेमारी शुरू कर दी. इसलिए तीरंदाजी का खेल ऊपरी शिलॉन्ग या शिलॉन्ग में गॉल्फ लिंक के मकई के खेतों में आयोजित किए जाने लगा.बीबी बिस्वास, 50 सालों से तीर के साथ जुड़े
आखिरकार, 1982 में तीरंदाजी को वैध करार दिया गया. साथ ही इस बात का भी पता चला कि तीरंदाजी रेवेन्यू का अच्छा साधन हो सकता है. अब इसे मेघालय एम्यूजमेंट्स और बेटिंग टैक्स (संशोधन) अधिनियम, 1982 के तहत कंट्रोल किया जाता है.
तीर: नौकरी और जीविका का साधन
हालांकि कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन अंदाजा लगाया जाता है कि मेघालय में 5000 से ज्यादा तीर काउंटर हैं. हर काउंटर को लाइसेंस की जरूरत पड़ती है. काउंटर के मालिक या सट्टेबाज ही इस बिजनेस की बड़ी मछलियां हैं. ये काउंटर पर सट्टेबाजी करने के लिए टिकट बेचते हैं. लेकिन फिर भी तीरंदाजी सट्टेबाजी से 10,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है.
जब मैंने 1965 में ये शुरू किया, तो मेरी एक दिन की सैलरी 5 रुपये थी. इन दिनों हमें 350 रु से 500 रु तक रोजाना मिल जाता है. यहां कुछ खास सरकारी नौकरियां नहीं हैं. जीविका के लिए हजारों परिवार इसी सट्टे पर निर्भर है.बीबी बिस्वास, 50 सालों से तीर के साथ जुड़े
सपनों का कनेक्शन
मेघालय में माना जाता है कि लोग सपनों से सट्टे के नंबर का अंदाजा लगाते हैं और हर एक सपने से एक नंबर जुड़ा होता है. उदाहरण के लिए...
पुरुष – 6
महिला – 5
पुरुष और महिला लड़ाई करते हुए – 37
कोई कामुक सपना – 17
रोजाना सुबह 10 से दोपहार साढ़े तीन बजे तक लोग सट्टेबाजी के लिए टिकट खरीदते हैं और 0 से 99 की बीच नंबरों पर सट्टा लगाते हैं. साढ़े तीन बजे मैदान में तीरंदाज निशाना लगाते हैं.
खासी हिल्स आर्चरी स्पोर्ट्स एसोसियेशन रोजाना तीरअंदाजी का आयोजन कराता है. शिलॉन्ग में एक इलाके से 12 आर्चरी क्लब एसोसिएशन बनाते हैं. हर रोज 50 तीरंदाज साढ़े तीन बजे 30 तीरों से निशाना लगाते हैं और दूसरे राउंड में 20 तीरों से. तीरंदाजों को एक दिन में 250 रुपये से 300 रुपये के बीच मिलते हैं.
साढ़े तीन और साढ़े चार बजे के नतीजों को रोजाना घोषित किया जाता है. कोई भी व्यक्ति पहले राउंड में 1 रुपये पर 80 रुपये तक जीत सकता है और दूसरे राउंड में 60 रुपये. अगर कोई दोनों राउंड के नंबर का सही अनुमान लगा लेता है तो एक रुपये पर 4000 रुपये तक कमा सकता है.
और यही पैसा लोगों को तीरंदाजी की तरफ खींच लाता है. लालच, सपने, किस्मत और परंपरा ने शिलॉन्ग में ‘तीर’ को जिंदा रखा हुआ है.
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