कर्नाटक के मैसूर शहर में दशहरा का त्योहार बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है. इस त्योहार को यहां के लोग ‘दसारा’ या 'नडा हब्बा' कहते हैं. इस त्योहार में मैसूर के सबसे मशहूर शाही वोडेयार परिवार सहित पूरा शहर शामिल होता है.
मैसूर पैलेस को 10 दिनों तक सजा कर रखा जाता है. साथ ही यहां सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. इसके अलावा महल के मैदान के सामने एक ‘दसारा’ प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि मैसूर में दशहरा का आयोजन सबसे पहले 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासक ने की थी.
दशहरा के दिन यहां देवी चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है. मैसूर के दशहरे की खासियत है ‘गजापयन’ यानी हाथियों का जुलूस. जुलूस में पंद्रह हाथी लाए जाते हैं जिनके ऊपर देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को रखा जाता है. इस मूर्ति को बेहद ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है. इसके साथ नृत्य , संगीत और कई सजाए हुए जानवरों की झांकी भी इस जुलूस में शामिल होती है.
तरह-तरह की झाकियां और पूरे मैसूर को दशहरे के रंग में इस तरह रंगा जाता है , जिसकी वजह से यह सभी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन चुका है.
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