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(वीडियो एडिटर - मोहम्मद इब्राहिम)
“कोर्ट ये सोचता है कि कोई उसके खिलाफ नहीं बोल सकता. अगर आप सही हैं, तब भी आप नहीं बोल सकते. लेकिन क्यों नहीं. आप कोई दैवीय संस्थान नहीं हैं जिसके खिलाफ हम बोल नहीं सकते.”सोली सोराबजी, पूर्व अटॉर्नी जनरल
प्रशांत भूषण के न्यायपालिका पर ट्वीट्स को लेकर क्विंट ने पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी से बात की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण को अपने आरोप साबित करने का मौका देना चाहिए था.
“अगर ट्वीट्स सही हैं और न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, तो ये न्यायपालिका को खुद में सुधार करने में मदद करेगा. प्रशांत भूषण को अपने आरोप साबित न करने देना गलत है. आपकी (न्यायपालिका) सोच इतनी संकीर्ण नहीं हो सकती. इसके अलावा लोगों का भरोसा न्यायपालिका से उठ जाएगा.“सोली सोराबजी, पूर्व अटॉर्नी जनरल
सोराबजी ने कहा कि भूषण को आरोप साबित न करने देकर न्यायपालिका लोगों को ये सोचने की वजह दे रही है कि न्याय व्यवस्था में जरूर कुछ गलत है.
'भूषण को आरोप साबित करने का मौका मिलना चाहिए'
“भूषण के माफी मांगने का कोई सवाल ही नहीं है. वो कह रहे हैं कि जो भी उन्होंने कहा है वो सच है. अगर भूषण अपने आरोप साबित न कर पाएं तो उन्हें सजा दी जा सकती है. मुझे लगता है न्यायपालिका लोगों को बोलने की इजाजत देकर खुद पर एहसान करेगी. और भूषण कोई शरारती इंसान नहीं हैं, उन्हें बोलने का मौका देना चाहिए.”सोली सोराबजी, पूर्व अटॉर्नी जनरल
सोराबजी का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट भूषण को सजा देने की कोशिश करता है, तो ये देश के लिए बुरी बात होगी.
“आम लोग सोचेंगे कि भूषण को बोलने का मौका क्यों नहीं मिला. क्या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है? भूषण को शुरुआत में चुप क्यों कराया गया. मुझे नहीं लगता जज भ्रष्ट हैं, लेकिन अगर ऐसा है तो उस इंसान को सजा मत दीजिए जो इस भ्रष्टाचार को सामने लाया है.”सोली सोराबजी, पूर्व अटॉर्नी जनरल
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर दोबारा सोचने और बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया है.
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