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क्या सरकार ने इकनॉमी को उसके हाल पर छोड़ दिया?सुभाष गर्ग EXCLUSIVE

क्विंट के ए़डिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग से खास बातचीत की

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कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट की वजह से अर्थव्यवस्था की हालत खराब है. सरकार ने इकनॉमी को ध्यान में रखते हुए फरवरी में जो बजट बनाया था, उसका अब बंटा धार हो गया है. एक तरफ तो टैक्स कम आने की वजह से सरकार की इनकम घटी है और दूसरी तरफ कोरोना वायरस संकट में हेल्थ पर खर्च बढ़ा है. ऐसे में आगे की इकनॉमिक प्लानिंग कैसे हो? ये बड़ा सवाल है. क्विंट के ए़डिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग से खास बातचीत की है.

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देश की आर्थिक हालत कैसी है?

GDP की हालत स्थिर बनी हुई है. दूसरी तिमाही के लिए अनुमान है कि -12% की गिरावट दिख सकती है. वहीं तीसरी तिमाही के लिए अनुमान -5-6% और चौथी तिमाही में पिछले साल जितनी ग्रोथ देखने को मिल सकती है. पूरे फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में -10-11%की नेगेटिव ग्रोथ रह सकती है. और ये ऐतिहासिक है, आजादी के बाद हमारी इकनॉमी इतनी कभी नहीं गिरी. हम 40 साल में पहली बार निगेटिव ग्रोथ में आ गए हैं.

ज्यादा कर्ज क्यों नहीं लेती सरकार?

सरकार का राजस्व घाटा बहुत ज्यादा है. आम तौर पर 20-21 लाख करोड़ का राजस्व आता है, लेकिन कोरोना संकट की वजह से इस बार 6-7 लाख करोड़ कम राजस्व आया है. उम्मीद है कि 2.1 लाख करोड़ का विनिवेश लक्ष्य पूरा नहीं होगा. हर तरह के टैक्स कम जमा हो रहे. सरकार राहत पैकेज पर खर्च नहीं करना चाहती, सरकार पैसे बचाना चाहती है. इस साल 8-9% राजस्व घाटा की उम्मीद लगाई जा रही है. राज्यों का घाटा जोड़ लें तो कुल घाटा 14% तक

सरकार को और कर्ज लेना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि सरकार दिसंबर में 3 लाख तक और कर्ज ले सकती है.

सरकार क्यों नहीं दे रही राहत पैकेज?

राहत पैकेज देने से घाटा और बढ़ सकता है. वैसे छोटे कारोबारियों को मदद की जरूरत है. 15 करोड़ नौकरीपेशा लोगों को मदद की जरूरत दिख रही है. सरकार को अभी इंफ्रा पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है. हमारे देश में सरकारें बिजनेस को मदद नहीं देती हैं, साथ ही नौकरीपेशा लोगों को भी मदद की परंपरा नहीं रही है. लेकिन इस वक्त नई सोच और नई हिम्मत चाहिए.

तो आखिर रिकवरी का रास्ता क्या है?

80-85% इकनॉमी खुद के भरोसे ही चल रही है. रिकवरी में समय लगेगा लेकिन इकनॉमी खुद ही रिकवर करेगी. फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में ग्रोथ के दिन लौटेंगे.

क्या सरकार ने इकनॉमी को उसके हाल पर छोड़ दिया है?

सरकारी मदद मिले तो रिकवरी जल्दी होगी. सरकारी मदद से 15-20% इकनॉमी को उठने में मदद कर सकती है.

बजट रिविजन क्यों नहीं कर रही सरकार?

4 लाख करोड़ का कर्ज बढ़ाना रिविजन ही है. इसमें अब सिर्फ औपचारिक घोषणा का इंतजार बाकी रह गया है.

क्या हम 5% ग्रोथ से खुश हैं?

कोई सरकार नहीं चाहती सिर्फ कि देश में 5% ग्रोथ हो. ऐसे में हम 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी नहीं बन पाएंगे. 2027 तक 12-13% की नॉमिनल ग्रोथ हो तो '5 ट्रिलियन' का सपना पूरा किया जा सकता है.

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