सादे-सलोने से दिखने वाले आमिर के बारे में एक चीज जो प्रभावित करती है, वो है उनका कमाल का आशावाद, जो उनकी पूरी कहानी पता चलने के बाद अवाक कर देता है.
18 साल की उम्र में पुलिस ने उन्हें अगवा कर लिया था. यह साल 1998 की बात है, जिसके 14 साल बाद तक जेल में लगातार आमिर का शोषण हुआ. उनका उत्पीड़न किया गया और पीटा गया.
‘वो अपहरण था, गिरफ्तारी नहीं’
20 फरवरी 1998 का दिन आमिर कभी नहीं भूलते. उस दिन को याद करते हुए वो कहते हैं
रात 9 बजे के करीब की बात थी. पुरानी दिल्ली में हमारा घर था. घर के पास से ही कुछ लोगों ने मुझे अगवा किया. वो वर्दी में नहीं थे, तो मैं उन्हें पुलिस वाला नहीं कह सकता.
अगवा करने के 7 दिन बाद तक उन लोगों ने आमिर को गैर-कानूनी ढंग से हवालात में रखा. उस घटना को आमिर आज भी अपना अपहरण ही मानते हैं, गिरफ्तारी नहीं.
उन सात दिनों में आमिर को बुरी तरह पीटा गया. हवालात में उससे कोरे कागजों पर दस्तखत कराए गए. कुछ वक्त बाद आमिर को यह पता लगा कि उसे दिल्ली-एनसीआर में 1996-97 में हुए बम धमाकों का आरोपी बना दिया गया है.
कोर्ट में सुनवाई होने से पहले कैसे आमिर को जेल भेज दिया गया, इसका जवाब उसे आज तक नहीं मिला है.
टूटे सपने और जेल की कैद
आमिर कहते हैं कि उन्हें पता था कि वो निर्दोष हैं. यह भी विश्वास था कि एक दिन वो आजाद होंगे. इसलिए आमिर ने जेल में होते हुए ही पढ़ना शुरू किया और जेल से ही बीए तक की पढ़ाई पूरी की. लेकिन बाद में आमिर के इस प्रयास को जेलर ने धराशायी कर दिया और उसकी पढ़ाई बंद करवा दी. उसी दौरान आमिर को पांच महींने के लिए कालकोठरी की सजा दे दी गई.
आज आजाद हैं, पर मन में कई सवाल लिए
आमिर पर लगाए गए 17 में से 15 मुकदमों को कोर्ट में 2010 में खारिज कर दिया. इसके बाद आमिर को दिल्ली जेल से गाजियाबाद की डासना जेल में शिफ्ट कर दिया गया. वहां लंबे वक्त तक आमिर को कोई वकील नहीं मिला. कोई वकील आमिर का केस नहीं लेना चाहता था.
लोग उन्हें पाकिस्तानी और आतंकवादी मानते थे.
अंतत: मानवाधिकार के लिए लड़ रहे एक वकील ने आमिर का केस लिया और 2012 में आमिर को जेल से रिहाई मिली. आमिर ने जेल में 14 साल की सजा पूरी की, जिसे हमारे देश में उम्रकैद कहा जाता है. वो भी निर्दोष होते हुए.
आमिर अब एक एनजीओ के लिए काम करते हैं. दिल्ली में ही बीवी और एक बेटी के साथ रहते हैं. लेकिन कुछ सवाल भी हैं, जो उनका पीछा नहीं छोड़ते.
आमिर पूछते हैं कि क्या उन्हें सिर्फ उनके नाम की वजह से आरोपी बनाया गया? क्या एक मुस्लिम नाम होने के कारण ही उन्हें 14 साल तक जमानत नहीं मिली? जबकि आंतकवाद के संदेह में पकड़े गए कई लोगों को जमानत दे दी गई. क्या उन्हें गुनहगार बनाने के पीछे उनका धर्म भी एक कारण रहा?
एडिटर: कुणाल मेहरा
कैमरामैन: संजय देब
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