वीडियो एडिटर: पुर्णेन्दू प्रीतम
वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
फ्रांस में एक टीचर ने क्लासरूम में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया, जिसके बाद उस टीचर की हत्या कर दी गई, इस हत्या के बाद धर्म और कट्टरता को लेकर बहस तेज हो गई है. CSDS के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिलाल अहमद से हम समझने के कोशिश करते हैं कि आखिर सही में धर्म और पैगंबर मोहम्मद का संदेश क्या कहता है.
हिलाल अहमद बताते हैं कि मेरी मुस्लिम पहचान अल्लाह का जिक्र करने को कहती है. मेरे अस्तित्व की दो पहचान है एक मुसलमान और दूसरा शोधार्थी. मुझे सिखाया जाता है कि कुरान को अंतिम सत्य मानूं लेकिन अंदर का शोधार्थी ऐसा करने से रोकता है. कुरान को भी संदेह की नजर से देखने को कहता है.
मुझे संदेह करने के साथ मानवीय निष्कर्ष पर भी पहुंचने की जरूरत है. फ्रांस की घटना को लेकर विरोध हो रहा है. लेकिन मैं तर्क और आस्था की बहस से अलग बात करूंगा.
मोहम्मद साहब के संदेश को नई नजर से देखने की जरूरत' 'मोहम्मद साहब के 2 चरित्र आज के दौर में प्रासंगिक हैं-
1.अभिव्यक्ति की आजादी
हिलाल अहमद बताते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के लिए मोहम्मद प्रतिबद्ध थे. मोहम्मद के साथी बहुत आलोचनात्मक सवाल पूछते थे लेकिन उन्होंने कभी सिर कलम करने को नहीं कहा. मोहम्मद साहब के लिए शांति बड़ी चीज थी.
2. समानता
मुसलमान या गैर मुसलमान सब हजरत की नजर में बराबर हैं. समानता के साथ समाज को बनाने की बात उन्होंने हमेशा कही. मोहम्मद साहब बनाम अभिव्यक्ति की आजादी जैसी कोई लड़ाई नहीं है .
मोहम्मद के चरित्र को नई नजर से देखने की जरूरत है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता मोहम्मद साहब के संदेश का मूल है. मेरी नजर में अल्लाह के मायने हैं ज्ञान परंपरा.
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