वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
5 सितंबर 2017 को, जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश को बेंगलुरू में उनके घर के बाहर गोली मार दी गई थी. इस घटना के बाद देश भर के लोग सकते और गुस्से में थे. इस हत्या ने प्रेस की स्वतंत्रता पर एक राष्ट्रव्यापी बहस और देश में हिंदुत्व के आलोचकों के लिए एक अनजान डर पैदा कर दिया.
एक साल बाद, लंकेश के पूर्व पति और अच्छे दोस्त रहे जर्नलिस्ट चिदानंद राजघट्टा ने 1980 के दशक से भारत में बढ़ती असहिष्णुता और गौरी के जीवन के आधार पर 'इलिबरल इंडिया' किताब लिखी है. द क्विंट के साथ एक इंटरव्यू में, राजघट्टा ने लंकेश से जुड़ी यादों को बांटा. उन्होंने बताया कि क्यों और कैसे देश में बढ़ती असहिष्णुता ने उन्हें 'इलिबरल इंडिया' किताब लिखने के लिए मजबूर किया.
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