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हिंदी की ताकत ने अंग्रेजी को भी मजबूर कर दिया: संजय पुगलिया

दुनिया के ज्यादातर शक्तिशाली देश अपनी ही भाषा का भरपूर इस्तेमाल करते हैं 

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[सितंबर, 2018 में क्विंट हिंदी और गूगल ने एक इवेंट का आयोजन किया, 'बोल- लव योर भाषा’. इसमें हिंदी समेत इंटरनेट पर तेजी से बढ़ती भारतीय भाषाओं और उनके फैलते बाजार पर चर्चा हुई. क्‍विंट के एडिटोरियल डायरेक्‍टर संजय पुगलिया ने इस मसले पर विस्‍तार से अपनी बात रखी.

ये वीडियो क्‍विंट हिंदी पर पहली बार 18 सितंबर, 2018 को पब्‍ल‍िश किया गया था. हिंदी दिवस पर ये वीडियो स्‍टोरी हम फिर से पाठकों के लिए पेश कर रहे हैं ]

क्विंट हिंदी और गूगल के खास इवेंट बोल- लव योर भाषा’ में इस बात पर चर्चा हुई कि कैसे इंटरनेट पर तेजी से बढ़ती भारतीय भाषाओं को बाजार से जोड़कर उन्हें फायदे का सौदा बनाया जा सकता है. लोग भारतीय भाषाओं में नेट पर सर्फिंग कर रहे हैं. इस इंटरनेट क्रांति में भारतीय भाषाओं के लिए मौके ही मौके हैं, लेकिन कैसे? इनका इनका इस्तेमाल कैसे करना है? क्विंट हिंदी के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने भारतीय भाषाओं की बढ़ती ताकत पर चर्चा की. साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे हिंदी आज की जरूरत बन गई है.

उन्होंने बताया कि कैसे हिंदी की ताकत ने अंग्रेजी को भी मजबूर किया. अंग्रेजी का इंटरनेट यूजर्स अपने शीर्ष पर पहुंच चुका है, हिंदी और भारतीय भाषाओं में ग्रोथ की बहुत गुंजाइश है.

40 करोड़ मोबाइल इंटरनेट यूजर्स हैं, जिसमें 30 करोड़ स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले हैं अंग्रेजी के सामने हिंदी और भारतीय भाषाओं की ताकत बहुत बढ़ी है. हिंदी को अपनाना बिजनेस की मजबूरी है. ईबे मशीन लर्निंग का इस्तेमाल शुरू किया तो उनके कारोबार में 20 परसेंट की तेजी आई. इजरायल, फ्रांस, जर्मनी वगैरह सभी ने अपनी भाषा में इंटरनेट विकसित किया.

इस आयोजन का मकसद यही बताना है कि देसी तरीके निकालने का वक्त आ गया है. कंटेंट और बिजनेस दोनों लिहाज से मौकों पर बहुत बड़ा दरवाजा खुल रहा है. ट्रांसलेशन से काम नहीं चलेगा, हिंदुस्तानी भाषा का सीधा ट्रांसलेशन काफी जटिल है ये मशीन से करना बहुत जटिल है.

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