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गुरुदासपुर आतंकवादी हमले के शिकार को सरकारी मदद की दरकार 

गुरुदासपुर आतंकी हमले में हाथ गंवा चुके कमलजीत सिंह का कारोबार ठप्प हो चुका है, उन्हें सरकार से मदद की उम्मीद है.

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सेना की वर्दी पहने हुए तीन आतंकियों ने बीती 27 जुलाई को पंजाब के गुरुदासपुर में हमला किया था. इन आतंकियों ने सबसे पहले एक सवारियों से भरी बस को निशाना बनाया और फिर दीनानगर पुलिस स्टेशन को अपने कब्जे में ले लिया.

पुलिस और आतंकियों के बीच हुई करीब 12 घंटे चली मुठभेड़ में पुलिस अधीक्षक समेत सात लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस और सेना ने संयुक्त ऑपरेशन में तीनों आतंकियों को मार गिराया.

आतंकियों का सबसे पहला शिकार गुरुदासपुर निवासी 56 साल के कमलजीत सिंह मथरू बने. गुरुदासपुर में अपना रेस्टोरेंट चलाने वाले कमलजीत उस सुबह अपनी मारुति 800 से सब्जियां लाने निकले थे.

रास्ते में सेना की वर्दी पहने तीनों आतंकियों ने कमलजीत से उनकी कार छीनने के लिए उनके ऊपर फायरिंग कर दी. आतंकियों की गोली कमलजीत सिंह के कंधे और हाथ में लगी. जिसके बाद आतंकी उनकी कार लेकर फरार हो गए.

आतंकियों के इस हमले का शिकार हुए कमलजीत का एक हाथ काटना पड़ा जबकि दूसरा हाथ बेकार हो गया.

हमले ने मुझे बेकार कर दिया है. मैंने अपना हाथ गंवा दिया है. मैं खुद से ना तो अपने कपड़े पहन सकता हूं और ना ही टॉयलेट जा सकता हूं. मेरा कारोबार ठप्प हो चुका है. मेरा एक बेटा है जो कि मानसिक तौर पर विकलांग है और एक बेटी है जिसने ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की है.लेकिन उसके पास नौकरी नहीं है. इसके अलावा कमाने वाला कोई भी नहीं है. सरकार से मेरी प्रार्थना है कि वह मेरे बेटे की मदद करे और मेरी बेटी को एक नौकरी दे.
कमलजीत सिंह मथरू

हमले के बाद चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन उनका परिवार सरकार से आर्थिक मदद पाने के लिए अभी तक इंतजार कर रहा है.

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