वीडियो एडिटर- संदीप सुमन और विशाल कुमार
20 अप्रैल 2018, जुमा यानी शुक्रवार का दिन. हर जुमे की तरह कुछ 100-200 मुसलमान गुरुग्राम के सेक्टर 53 के पारस हॉस्पिटल के सामने वाले बंजर मैदान में नमाज पढ़ने को जमा होते हैं. कुछ नंगे सिर तो कुछ सफेद, हरी, काली, टोपियां पहने हुए. आसपास की झोपड़ियों और मकानों में रहने वाले लोग अपने घरों से चटाई और चादर बिछाकर नमाज की तैयारी में जुट जाते हैं. लेकिन तभी 7-8 युवा जयश्री राम, वंदे मातरम् का नारा लगाते हुए लोगों को नमाज पढ़ने से रोकने लगते हैं.
नमाज पढ़ रहे लोग वहां से बिना लड़ाई झगड़े के चले जाते हैं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है. हंगामा करने वाले लोग खुद को संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति का मेंबर बताते हैं. पुलिस लोगों की शिकायत पर हंगामा करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लेती है. लेकिन इसके साथ ही गुरुग्राम में खुली जगहों पर नमाज को लेकर विवाद शुरू हो गया है.
खुली जगहों पर नमाज के विरोध में उतरी संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के लोग मुसलमानों को खुली जगहों में नमाज पढ़ने नहीं देने पर उतारू हैं. इस समिति में बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना, हिंदू जागरण मंच जैसे 12 संगठन शामिल हैं. समिति के सदस्य और बीजेपी नेता कुलभूषण भारद्वाज का कहना है कि हमें नमाज से नहीं बल्कि खुली जगहों में नमाज से आपत्ति है.
किसी भी धर्म के जरिए सड़क या सरकारी मैदानों का अतिक्रमण नहीं होने देंगे. जब प्रशासन गलत काम को नहीं रोकता है तो लोगों को आवाज उठानी पड़ती है. इसलिए उन लड़कों ने गलत को रोका.कुलभूषण भारद्वाज, सदस्य, संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति
लेकिन इस मामले में शिकायतकर्ता शहजाद खान बताते हैं कि 15-20 साल से गुरुग्राम में लोग अलग-अलग खुले मैदान में नमाज पढ़ते आ रहे हैं. लेकिन पहले ऐसा कभी नहीं हुआ.
कभी भी नमाज से किसी भी दूसरे समुदाय के लोगों को तकलीफ नहीं हुई. धार्मिक जनगणना के मुताबिक, गुरुग्राम में करीब 4.68 फीसदी मुस्लिम हैं. और इसमें भी ज्यादातर लोग फैक्ट्रियों और कंस्ट्रक्शन साइटों पर काम करने वाले या किराए के फ्लैट में रहते हैं. ऐसे में यहां पर सिर्फ 10 या 11 मस्जिदें हैं. इसलिए ज्यादातर लोग सरकारी खाली पड़ी जमीन पर नमाज पढ़ते हैं. आज तक किसी को परेशानी नहीं हुई. लेकिन सरकारी जमीन पर नमाज पढ़ने से इस दल (हिंदू संघर्ष समिति) को परेशानी क्यों?शहजाद खान, शिकायक कर्ता
'जमीन जिहाद'
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति सदस्य सुरेश फौजी खुले मैदान में नमाज को जमीन पर कब्जा करने का एक तरीका बताते हैं. उनके हिसाब से खुले मैदान में नमाज पढ़कर मुसलमान ‘जमीन जिहाद’ कर रहा है.
नमाज के बहाने ये लोग जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. ये लोग एक-एक कर इस जगह पर आएंगे, अगर 500 लोग नमाज पढ़ने आते हैं और सिर्फ एक-एक ईंट ही लाएंगे तो 500 ईंट जमा हो जाएंगी. दो जुमे की नमाज में हजार ईंट. और फिर ये लोग जमीन पर दीवार खड़ी कर जमीन पर कब्जा कर लेंगे. यही ‘जमीन जिहाद’ है.सुरेश फौजी, सदस्य , संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति
‘जमीन जिहाद एक झूठ’
जमीन कब्जा करने के सवाल के जवाब में शहजाद बताते हैं कि ये आरोप बेबुनियाद है.15-20 साल से हम लोग वहां पर नमाज पढ़ रहे हैं. आज तक किसी ने जमीन कब्जा करने के लिए 2 ईंट भी नहीं लगाईं. अगर हमसे किसी को तकलीफ होगी तो हमारी नमाज कुबूल नहीं हो सकती.
आसपास के मुसलमानों में डर
सेक्टर 53 के इस मैदान के सामने बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश से आये कुछ मजदूर अपने परिवार के साथ रहते हैं. ऐसे में जब क्विंट ने इन लोगों से 20 अप्रैल को हुए हंगामे की सच्चाई को समझने के लिए बात की तो कोई भी इस मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं हुआ. नाम न छापने की शर्त पर एक शख्स ने बताया कि वो लोग दूसरी जगह से सिर्फ कमाने आए हैं, उन्हें किसी भी झगड़े में नहीं पड़ना है.
हम काम पर जाएंगे और अगर हमारे बीवी बच्चों को कुछ कर दिया तो हम क्या करेंगे. ये जमीन हमारी नहीं है, इसलिए अगर ये लोग भगा देंगे तो हम क्या कर सकते हैं.स्थानीय
जिस मैदान से विवाद शुरू हुआ है, फिलहाल उस जमीन पर अब प्रशासन ने हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी का बोर्ड लगा दिया है. साथ ही अब इस जगह नमाज पढ़ने की मनाही है.
47 जगहों पर मिली नमाज की इजाजत
खुले में नमाज पढ़ने को लेकर पुलिस और मुस्लिम पक्ष की बैठक में अहम फैसला किया गया है. बैठक में फैसला हुआ है कि गुरुग्राम में अब 27 जगहों पर खुले में नमाज पढ़ी जाएगी.
साथ ही मस्जिद और मदरसे को मिला कर कुल 47 जगहों पर जुमे की नमाज पढ़ी जाएगी. इनमें से 13 सरकारी जगहें हैं. इतना ही नहीं, जिन जगहों पर नमाज पढ़ी जाएगी, वहां पुलिस सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या पुलिस की मौजूदगी में नमाज पढ़ने के अलावा क्या कोई और रास्ता नहीं है?
ये भी पढ़ें- CM साहब, नमाज की जगह तय करने से पहले ‘हिंदूवादी गुंडों’ को सजा दें
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)