ADVERTISEMENTREMOVE AD

पंजाब, हरियाणा लॉकडाउन: गेहूं के कटोरे में खड़ा किसान,मांग रहा मदद

बड़े पैमाने पर मजदूर पलायन कर रहे हैं, जिसके कारण देश में एक बड़े कृषि संकट की आशंका है

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

देशभर में लॉकडाउन के बाद बड़े पैमाने पर मजदूर पलायन कर रहे हैं, जिसके कारण देश में एक बड़े कृषि संकट की आशंका है. उत्तर भारत के दो राज्य हरियाणा और पंजाब अब रबी की फसल कटाई के लिए पूरी तरह तैयार है. खास तौर पर गेहूं की कटाई के लिए, जो अप्रैल के बीच से शुरू होती है. इन राज्यों को अनाज का कटोरा भी कहा जाता है और देश का 70 % गेहूं हरियाणा और पंजाब में होता है.

लेकिन इस बार हरियाणा, पंजाब और यूपी के गेहूं किसानों के लिए बैशाखी परेशानी लेकर आई है.

आमतौर पर अप्रैल की शुरुआत में गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश और लॉकडाउन के कारण देरी हुई है. अगर लॉकडाउन और कोरोना के खतरे के बीच किसान खेतों में लौटते हैं,तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. क्या हैं वो चुनौतियां, हम आपको बताते हैं-

खेती करने वाले लोगों की कमी, मशीनों की कमी

लॉकडाउन की वजह से, ज्यादातर माइग्रेंट लेबर अपने घरों को लौट गए हैं. यूपी और बिहार से सीजनल लेबर लौट कर नहीं आ पाए हैं

पशुओं के लिए चारा नहीं है. पंजाब और हरियाणा में 70% खेती मशीनों से होती है. लेकिन कई किसान पशुओं के चारे और खर-पतवार चुनने के लिए मजदूरों पर निर्भर हैं
रमनदीप सिंह मान, किसान एक्टिविस्ट

सबसे बड़ी चुनौती आती है जब गेहूं की कटाई होती है और फिर सरकार को MSP पर बेचने के लिए मंडियों में जाने के लिए तैयार होता है. पंजाब ने ऐलान किया है कि वो 15 अप्रैल से फसलों की खरीद शुरू करेगा. हरियाणा में ये काम 20 अप्रैल से शुरू होगा.

राज्य सरकारें संकट से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर रही हैं. चलिए एक नजर उस पर डालते हैं

ADVERTISEMENTREMOVE AD
जहां पंजाब सरकार ने मजदूरों की समस्या को कम कर दिया है, हरियाणा सरकार ने कहा है कि वो मनरेगा(MNREGA) केतहत मजदूरों का इस्तेमाल करेंगे. इसके अलावा जो शेल्टर होम में हैं उनका भी इस्तेमाल किया जाएगा

भीड़भाड़, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं

खरीद की परमिशन देने और ज्यादा भीड़ से बचने के लिए, हरियाणा और पंजाब सरकार ने खरीद केंद्र बढ़ाए हैं और राइस मिलों,पंचायत की जमीनों का इंतजाम किया है. दोनों सरकारें दो महीने में किसानों को अपनी थोड़ी-थोड़ी उपज के साथ शिफ्ट में आने की इजाजत देंगी. सुरक्षा और साफ-सफाई के कदम भी उठाए गए हैं.

  • ज्यादा खरीद केंद्र
  • अलग-अलग समय में खरीदी
  • सुरक्षित और स्वच्छता के उपाय

स्टोरेज के लिए जगह नहीं, खरीदते वक्त नुकसान

लेकिन अलग-अलग खरीद का मतलब ये हो सकता है कि किसानों को कुछ नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि उनके पास स्टोरेज की पर्याप्त जगह नहीं हो सकती है. पंजाब में अमरिंदर सिंह सरकार और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने खरीद के बाद के दिनों में अपनी उपज लाने वाले किसानों को इंसेंटिव देने के लिए केंद्र सरकार को लिखा है.

पंजाब और हरियाणा ने बंपर पैदावार का लक्ष्य रखा लेकिन सप्लाई चेन के लिए लॉकडाउन के क्या मायने हैं?

कोरोनोवायरस महामारी के इस मोड़ पर, दो क्षेत्र हैं जो आर्थिक पतन या आर्थिक अस्तित्व की बागडोर संभालते हैं. एक स्वास्थ्य क्षेत्र है और दूसरा खाद्य क्षेत्र.. इसलिए, कृषि लॉकडाउन की स्थिति में नहीं हो सकती है. देश में हम एक बहुत जीवंत कृषि के लिए बहुत भाग्यशाली हैं.. हमारे किसानों ने अपना काम किया है और हमें ये देखने के लिए साथ आना चाहिए कि ये कोशिश कहीं खो न जाए. जहां तक उत्पादन का सवाल है या आपूर्ति की बात है, तो कोई समस्या नहीं है.
देविंदर शर्मा, कृषि एक्सपर्ट

लॉकडाउन और कोरोना के खौफ के बीच किसानों का कहना है कि वो देश के अनाज के कटोरे को खाली नहीं होने देंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×