वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम
“मैं तो बूढ़ी हो गई पानी भरते-भरते, स्कूल के वक्त से पानी भर रहे हैं. पानी ढोने वालों के लिए रिटायरमेंट की उम्र भी नहीं होती.”
ये शब्द 60 साल की बुजुर्ग गुड्डी के हैं. हरियाणा के हिसार के खेड़ी चोपटा गांव में हाथों में रस्सी, बाल्टी, और सिर पर पानी ने भरा घड़ा लिए महिलाओं को सड़कों पर देखना आम बात है. सुबह और शाम के वक्त गांव में मौजूद दो कुएं पर हर उम्र की महिलाओं की भीड़ और पानी लेकर बेचैनी आसानी से देखी जा सकती है.
क्विंट ने इन महिलाओं के हर दिन की इस परेशानी को समझने की कोशिश की. हमने उन लोगों की दर्द को महसूस करने के लिए उनके पानी से भरे घड़े को उठा कर चलने की कोशिश की. लेकिन पानी का घड़ा इतना भारी था कि हम ज्यादा दूर नहीं चल सके.
जब हमने कुएं पर पानी लेने आई एक महिला मीना से बात की तो उन्होंने बताया, “मेरा घर कुएं से दो किलोमीटर दूर है. हर दिन दो बार पानी लेने आना होता है. गर्मी में तीन बार पानी लेने आना पड़ता है. हमारे यहां कोई नल नहीं है. हैंडपंप से कड़वा पानी आता है. इसलिए यहां आना पड़ता है. अब बच्चों को पालने के लिए तो ऐसा करना पड़ेगा.”
मीना बताती हैं कि वो हर दिन 100 से 150 रुपये दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करती हैं.
पानी ही नहीं, बिजली भी रहती गुल
पानी की कमी के साथ-साथ इस गांव के लोगों को बिजली की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है. गुड्डी बताती हैं, “7 बजे सुबह बिजली गई थी, अब एक बजे आएगी. 24 घंटे बिजली नहीं रहती है यहां.”
उज्ज्वला योजना के दावों पर भी सवाल उठे
सरकार लगातार दावा कर रही है कि वो उज्ज्वला योजना से हर घर पहुंचा गैस सिलेंडर पहुंचा रही है. लेकिन इन महिलाओं की परेशानी फिर भी कम नहीं हुई. मीना बताती हैं कि उनके पास पहले से गैस सिलंडर है, सरकार की तरफ से भी मिला है, लेकिन महंगाई की वजह से वो लकड़ी पर ही ज्यादातर खाना बनाती हैं. मीना कहती हैं, “गैस सिलेंडर तो तब ही भराया जाएगा जब पैसे होंगे. पैसे तो घर में हैं नहीं, सिलेंडर कैसे भराएंगे?”
पीएम मोदी ने ‘हर घर नल का जल’ योजना की बात कही है, अब सवाल ये है कि क्या सरकार इन लोगों के घरों तक पानी पहुंचाएगी या इन्हें अभी और इंतजार करना होगा.
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