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हिमाचल चुनाव में क्या युवाओं की नौकरी बनेगा सबसे बड़ा मुद्दा?

हिमाचल प्रदेश के सोलन में 10 यूनिवर्सिटी है. लेकिन नौकरियों की कमी

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हिमाचल प्रदेश का सोलन शहर राज्य का एजुकेशन हब है. पूरे राज्य की 60 फीसदी यूनिवर्सिटी सोलन में ही हैं. लेकिन यहां छात्र-छात्राओं के लिए नौकरी नहीं है.

23 साल के रितेश ठाकुर की कुछ ऐसी ही कहानी है. रितेश ने दो साल पहले ग्रेजुएशन की पढ़ाई खत्म कर ली थी. उसके बाद डिजाइनिंग में एक कोर्स किया है. लेकिन उनके पास फिर भी नौकरी नहीं है. वो खुद से 3-4 साल छोटे स्टूडेंट्स के साथ कॉलेज के बाहर घूमता नजर आता है. 
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कॉलेज वाले अपने विज्ञापन में बोलते हैं कि 100% जॉब प्लेसमेंट देंगे. लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होता है. मेरी क्लास में 100 स्टूडेंट्स थे. लेकिन उनमें से केवल 3-4 बच्चों की ही अच्छी जगह नौकरी लगी है. जिनकी नौकरी नहीं लगी, वो सिविल इंजीनियरिंग या एम टेक के लिए तैयारी कर रहे हैं.   
रितेश ठाकुर, ग्रेजुएट, उम्र- 23 साल  
ऐसा नहीं है कि यहां नौकरियां नहीं है. लेकिन सिर्फ छोटी-मोटी  नौकरी हैं. हम इतनी दूर से आकर पढ़ाई करते हैं और 12,000 की नौकरी मिलती है, तो कोई फायदा नहीं है. 
छात्रा, ग्रेजुएट, हिमाचल

यूनेस्को की 2012-13 रिपोर्ट के मुताबिक, 1993 से 2008 के बीच हिमाचल प्रदेश के हर एक घर से दूसरे शहर में जाकर बसने वाले लोगों की संख्या में 6-20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस लिस्ट में हिमाचल सबसे ऊपर है. बिहार, झारखंड, हरियाणा इसके बाद है.

इन ग्रेजुएट छात्रों के लिए हिमाचल में नौकरी के ज्यादा मौके नहीं हैं. इन्हें अगर नौकरी चाहिए, तो हिमाचल के बाहर किसी दूसरे राज्य में ही जाना पड़ेगा. हालांकि चंडीगढ़ में आईटी कंपनियां होने के कारण वहां कुछ नौकरियों की संभावना है.

अगर सरकार हमें यहीं हिमाचल में नौकरी देने में सक्षम होती है, तो हमें बाहर दूसरे शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
छात्रा, ग्रेजुएट, हिमाचल

हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या 70 लाख है. इनमें से 30 फसदी लोग युवा हैं. इनकी नौकरी पाने की इच्छा ही ये तय करेगी कि हिमाचल में आने वाले विधानसभा चुनाव में कौन-सी पार्टी सत्ता में आएगी.

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