वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
बाहर से चमचमाती बिल्डिंग लेकिन अंदर से बदहाल फ्लैट कमजोर दीवारें, सीलन वाली छत, जर्जर ड्रेनेज. बेबस कस्टमर और सीनाजोरी पर उतरे बिल्डर ये मंजर तो अब आम हैं, ऐसे में क्या करे घर खरीदार? क्या अपनी किस्मत को कोस कर चुप बैठ जाए या आवाज उठाए?
क्विंट हिंदी की स्पेशल सीरीज ‘पैसा है तो संभव है’ के छठे एपिसोड में जानिए उन विकल्पों के बारे में जिनसे आप लगा सकते हैं बेईमान बिल्डरों के होश ठिकाने और अपने पैसे की पूरी कीमत वसूल सकते हैं.
खराब कंस्ट्रक्शन क्वालिटी के घर बनाने और बेचने में हमारे देश के बिल्डरों को PhD हासिल है और इसकी वजह है हमारी और आपकी चुप्पी. एक बार हाथ में घर आ जाए उसके बाद लगता है कि कौन बिल्डर से सब-स्टैंडर्ड क्वालिटी और वादा की गई सुविधाओं के लिए माथापच्ची करे? ये डर भी कि कौन ठाने बिल्डरों से लड़ाई. अकेली लड़ाई कैसे लड़ी जाए? फिर कानूनी लड़ाइयां भी तो सालों-साल चलती रहती हैं.
नेशनल कंज्यूमर फोरम का आदेश
नेशनल कंज्यूमर फोरम ने 2014 में वादे के मुताबिक लिफ्ट की सुविधा नहीं देने पर बिल्डर को मेंटेनेंस के पैसे वापस करने का आदेश दिया था. एंबियेंस आइलैंड अपार्टमेंट मालिक बनाम राज सिंह गहलोत और अन्य केस में 66 होमओनर्स को बिल्डर से 2 साल के वसूले गए मेंटेनेंस का 70% इंटरेस्ट के साथ वापस मिला.
बिल्डर को लगभग 88 करोड़ रुपये वापस करने पड़ गए और लीगल खर्चे के पैसे अलग से देने का आदेश दिया गया. बिल्डर को ये 66 होमओनर इसलिए नेशनल कंज्यूमर फोरम ले गए थे क्योंकि उसने किए गए वादे के मुताबिक लिफ्ट कम लगवाए और जो लिफ्ट लगे थे उनकी क्वालिटी खराब थी.
RERA के पास जाएं
आप सिविल कोर्ट कंज्यूमर फोरम रियल एस्टेट के रेगुलेटर RERA के पास जा सकते हैं. RERA सिर्फ रियल एस्टेट पर फोकस करता है. इसलिए यहां पर जल्द समाधान मिलने की उम्मीद रखी जा सकती है.
क्या कर सकते हैं आप?
अगर सोसायटी के एक फ्लैट में दिक्कत है तो औरों में भी होगी. एक ही तरह की समस्या से जूझ रहे लोग एसोसिएशन बनाकर लड़ें. लीगल फीस के खर्चे को आपस में बांटा जा सकता है. अगर घर के एरिया को लेकर समस्या है यानी बिल्डर के वादे के मुताबिक साइज और दिए गए घर के साइज को साबित करने के लिए आर्किटेक्ट के कैलकुलेशन की जरूरत पड़ेगी. इसी तरह अगर बिल्डिंग के स्ट्रक्चर और मैटेरियल में कमी है तो स्ट्रक्चरल इंजीनियर से रिपोर्ट तैयार करवाएं.
इसमें भी खर्चा लगेगा और एसोसिएशन होने का फायदा रहेगा कि इन खर्चों को आप बांट सकते हैं. इस तरह की रिपोर्ट आपकी शिकायत और लीगल नोटिस का आधार होते हैं.
कंज्यूमर कानून का सहारा
कंज्यूमर कानून के सेक्शन 2(11) के मुताबिक अगर किसी भी सामान में खराबी है या उसे जो बताकर बेचा गया और वो उस पैमाने पर खरा नहीं उतरता है तो इसे सेवा में कमी माना जाएगा. कंज्यूमर कानून में घर को एक सर्विस माना गया है जो बिल्डर आपको देता है और इस सर्विस में कमी Deficiency of Service के दायरे में आएगी.
लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम एम के गुप्ता केस में 1993 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में साफ कहा गया है कि एक बिल्डर या तो घर खुद बनाता है या कॉन्ट्रैक्टर से बनवा कर उसे बेचता है, वो अंतिम कंज्यूमर तक एक सर्विस पहुंचा रहा है और उसे कंज्यूमर कानून सर्विस प्रोवाइडर मानेगा. उसकी सर्विस में कमी को कंज्यूमर के साथ वादाखिलाफी माना जाएगा. सेवा में कमी की शिकायत RERA में भी दर्ज कराई जा सकती है.
अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस के तहत मुआवजे का हक
खराब क्वालिटी का घर या उसमें खराबी को अनफेयर इसलिए माना जाएगा क्योंकि आपको प्रोजेक्ट के पैम्फलेट में प्रोजेक्ट की सुनहरी तस्वीर दिखाकर गुमराह किया गया. आपको सुंदर गार्डन और क्लब जैसी सुविधाओं का वादा किया गया लेकिन जब घर का पजेशन मिला तो ये सारी सुविधाएं छू मंतर थी. ऐसे में आप अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस के तहत बिल्डर से जवाब मांग सकते हैं.
याद रखिए आप वो मांग रहे हैं जिसपर आपका हक है. आपने सामान खरीदा है, उसमें जो खराबी है उसे ठीक किया जाना चाहिए और अगर बिल्डर खामियों को ठीक करने के लिए राजी नहीं है तो खामियाजा उसे भुगतना चाहिए न कि आपको!
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