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घर से दफ्तर तक... लॉकडाउन ने पुलिस वालों की जिंदगी कैसे बदली

लॉकडाउन को अमली जामा पहनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है पुलिस तंत्र के कंघे पर

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

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कोरोना वायरस का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे कारगर तरीका है संपूर्ण लॉकडाउन और इस लॉकडाउन को अमली जामा पहनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है पुलिस तंत्र के कंघे पर. हमने मध्य प्रदेेश के दमोह जिले में थाना कोतवाली पुलिस के साथ एक दिन बिताया और जायजा लिया कि इन लॉकडाउन के इन दिनों में पुलिस कैसे काम कर रही है.

जागरुकता और सख्ती दोनों पर काम

दमोह जिल के कोतवाली थाना प्रभारी एच आर पाण्डेय ने क्विंट को बताया कि लॉकडाउन के इस दौर में पुलिस के कामकाज में काफी बदलाव देखन को मिला है. हमें लोगों को जागरूक भी करना है साथ ही जो लोग नियमों को नहीं मान रहे हैं और लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं उन पर सख्ती भी करनी पड़ रही है. जागरुकता के लिए हमने इसके लिए अपने थाना क्षेत्र में 8 पार्टियां बनाई हैं. इन पार्टियों के जरिए हम मोहल्ले-मोहल्ले जाकर एनाउंसमेंट के जरिए लोगों को कोरोना वायरस के लक्षणों, सावधानियों, बचाव के प्रति जागरुक कर रहे हैं. लोग भी अब धीरे-धीरे सहयोग कर रहे हैं.

लॉकडाउन में ड्यूटी करने में चुनौतियां

कॉन्सटेबल विवेक कटारे दमोह के जबलपुर नाका चौकी पर लॉकडाउन में ड्यूटी दे रहे हैं. इनका काम नाकेबंदी का है. जो भी लोग आ जा रहे हैं उनकी पूछताछ करना. वो बताते हैं कि कई मायनों में ये ड्यूटी चुनौतीपूर्ण है. लॉकडाउन में हमें मानवीय पहलू को भी देखना है और बेवजगह घूम रहे लोगों पर सख्ती भी दिखानी है.

ड्यूटी करते वक्त कई बार ऐसे भी मामले आते हैं जो जरूरी सेवाओं में आते हैं. किसी के घर में मेडिकल इमरजेंसी हो सकती, कोई डॉक्टर, पत्रकार या पुलिस विभाग का ही हो सकता है. ऐसे में हमें विवेक का इस्तेमाल करना होता है. पहले हम उनसे परिचय पत्र पूछते हैं. अगर जरूरी कागजात नहीं होते हैं तो उन पर IPC की धारा 188 के तहत केस दर्ज किया जाता है.

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पुलिस का दिखा नया चेहरा

लॉकडाउन में कानून व्यवस्था बनाए रखने के अलावा भी पुलिस कई तरह से लोगों की मदद करती नजर आई. लोगों तक भोजन, राशन से लेकर मास्क और सेनेटाइडर तक पहुंचाने का काम पुलिस ने किया है. कई सारे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ये उनके लिए एक नया अनुभव रहा है. उन्होंने अपनी पूरी सर्विस में इस तरह की परिस्थिति का सामना नहीं किया था. लेकिन ये अनुभव काफी अलग और लोगों की मदद करना काम करने की नई ऊर्जा देता है.

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