दिल्ली चुनावों के दौरान बीजेपी नेता मनोज तिवारी के डीपफेक वीडियोज WhatsApp ग्रुप पर शेयर किए गए. जिसमें वो हरियाणवी और अंग्रेजी में वोटर्स को संबोधित करते दिख रहे थे, जबकी असली वीडियो हिंदी में रिकॉर्ड किया गया था, रिपोर्ट्स के मुताबिक चंडीगढ़ की एक स्टार्ट-अप कंपनी आइडियाज फैक्ट्री ने इन डीपफेक वीडियोज को बनाया था.
डीपफेक मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी है जो लोगों को उन चीजों को दिखाने के लिए ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग में हेर-फेर करती है. जो दूसरों ने कभी किया या कहा नहीं, ये वास्तविक दिखाई देते हैं लेकिन होते नहीं हैं. डीपफेक वीडियोज किसी के चेहरे की रिकॉर्डिंग कर उसके हाव-भाव को किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के चेहरे से मिलाकर बनाया जा सकता है.
चेहरे के हाव-भाव और आवाज में उतार-चढ़ाव को बिल्कुल वैसे ही कॉपी करने के लिए डेवलपमेंट लेवल पर अच्छे सॉफ्टवेयर और कोडिंग की जरूरत होती है. लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि कुछ मुफ्त सॉफ्टवेयर ऑनलाइन उपलब्ध हैं जो आपको खुद का डीपफेक बनाने में मदद कर सकते हैं. समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे ऑनलाइन डीपफेक बनाए जाते हैं?
इंटरनेट से आप डेस्कटॉप पीसी और फोन के लिए कई डीपफेक वीडियो बनाने वाले सॉफ्टवेयर आसानी से हासिल कर सकते हैं. हमने मशीन ट्यूब डाउनलोड किया जो एक डेस्कटॉप आधारित एप्लिकेशन है. ये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और गायक कायने वेस्ट जैसे मशहूर लोगों और नेताओं के कुछ फ्री टेम्पलेट के साथ प्री-लोडेड आता है, हम इस सॉफ्टवेयर में उन चेहरों का इस्तेमाल कर सकते हैं इंस्टॉल होने के बाद, मैंने अपना एक 10 सेकंड का वीडियो शूट किया.
इन सॉफ्टवेयरों के अधिकतर मुफ्त वर्जन आपको कुछ सेकेंड तक के लिमिटेड छोटे डीपफेक वीडियोज बनाने का विकल्प देते हैं. आपको कोशिश करनी चाहिए कि जिस सेलेब्रिटी की आप नकल उतार रहे हो तो आपके भी चेहरे का हाव-भाव और त्वचा का रंग वैसा ही हो वीडियो शूट करने के बाद मैंने उस सॉफ्टवेयर पर यूट्यूब के जरिए अपलोड कर दिया इसके बाद चेहरा कॉपी करने के लिए.
इन सॉफ्टवेयरों के अधिकतर मुफ्त वर्जन आपको कुछ सेकंड तक के लिमिटेड छोटे डीपफेक वीडियोज बनाने का विकल्प देते हैं. आपको कोशिश करनी चाहिए कि जिस सेलेब्रिटी की आप नकल उतार रहे हो तो आपके भी चेहरे का हाव-भाव और त्वचा का रंग वैसा ही हो वीडियो शूट करने के बाद मैंने उस सॉफ्टवेयर पर यूट्यूब के जरिए अपलोड कर दिया इसके बाद चेहरा कॉपी करने के लिए.
फेस मूवमेंट जितना कम होगा सॉफ्टवेयर उतना ही बेहतर ट्रैक करेगा चेहरे को स्कैन करने के बाद मैंने Faceswap सॉफ्टवेयर चलाया, जिसने सेलेब्रिटी के चेहरे को मेरे चेहरे से बदल दिया और इसके बाद ये इस तरह से दिखता है. क्योंकि ये सॉफ्टवेयर मुफ्त है तो इसका जो आउटपुट है, वो बहुत ही साधारण है और किसी को बेवकूफ बनाने लायक नहीं है.
कई बार तो रिजल्ट काफी खराब होते हैं हालांकि, सही कीमत देने पर आपको मनोज तिवारी के वीडियो जैसा रिजल्ट मिल सकता है दो साल पहले, अमेरिकी एक्टर जॉर्डन पील को एक डीपफेक यूट्यूब वीडियो में देखा गया था. जिसमें दिखाया गया था कि वो कैसे ओबामा की नकल सकते हैं और वो परिणाम चौंकाने वाले थे, ज्यादातर बार आपको आवाज देने के लिए प्रोफेशनल नहीं मिल पाते हैं जो एक प्रसिद्ध व्यक्ति की नकल कर सकता हो लेकिन आज ऐसे सॉफ्टवेअर हैं जो आपके लिए ऐसा कर सकते हैं.
Lyrebird जैसे सॉफ्टवेयर आपके बोले हुए कुछ शब्दों को सुनकर ही वाक्य बना सकते हैं ऑडियो में इस तरह से हेर-फेर किया जा सकता है. ये देखते हुए वाक्य बनाना बिल्कुल मुश्किल नहीं होगा. ये PC पर बदले गए तस्वीर के रूप में तो सही है लेकिन कई बार तस्वीरें हास्यास्पद हो सकती हैं. हालांकि, Faceswap और डीप फेस लैब जैसे बेहतरीन सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जो आपको सबसे सटीक परिणाम देते हैं. लेकिन वो चलाने में बहुत मुश्किल होते हैं और एक अच्छे डीपफेक वीडियो को बनाने के लिए तय समय और सॉफ्टवेयर में महारत की जरूरत होती है इंसान के रूप में हम जो कुछ भी देखते हैं और सुनते हैं. उस पर विश्वास करने की प्रवृत्ति होती है. लेकिन आज, ये भी जोखिम वाला है
हम ऐसी जानकारी भी साझा करते हैं जो निगेटिव है झूठी बातें, सच्ची कहानियों की तुलना में 10 गुना ज्यादा तेजी से फैलती हैं. टैकनोलजिस्ट का मानना
है कि जल्द ही AI में बेहतरी के साथ सच्चे और झूठे वीडियो के बीच तुलना को ट्रैक करना लगभग असंभव होगा यही कारण है कि इस से मुकाबला करने के लिए हमें टेक कंपनियों, लॉ मेकर्स और यहां तक
कि मीडिया से काफी सक्रिय समाधान की जरूरत है हमें इंटरनेट पर आने वाली हर चीज पर विश्वास न करने के लिए संयम की जरूरत है क्योंकि डीपफेक के इस दौर में आप सिर्फ देखकर विश्वास नहीं कर सकते
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)