वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
31 अक्टूबर के साथ ही मोदी सरकार के ‘मिशन कश्मीर’ का अगला पड़ाव आ गया है. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के साथ ही राज्य दो भागों में बंट गया, लेकिन जमीनी और कानूनी तौर पर इसका क्या असर होने वाला है इसे समझना जरूरी है.
पहले जम्मू-कश्मीर में अलग स्थिति थी. वहां केंद्र के कानून लागू नहीं होते थे. राज्य विधानसभा से पारित होने के बाद ही कोई कानून लागू होता था. अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट गिया गया है.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 239A के अंतर्गत पुद्दुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी. विधानसभा में 107 सीटें होंगी. हकीकत में 83 सदस्य ही होंगे. 24 सीटें पीओके के लिए खाली हैं. यहां की विधानसभा में पहली बार एससी-एसटी लोगों के लिए आरक्षण होगा.
लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी, इसलिए कानून बनाने का सारा अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा. आरके माथुर यहां के पहले उपराज्यपाल होंगे.
कानूनी तौर पर क्या बदलेगा?
आर्टिकल 370 हटने के बाद राज्य में अब केंद्र के सारे कानून लागू होंगे. केंद्र के 106 कानून इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए.
जम्मू-कश्मीर में अब रणबीर पीनल कोड नहीं चलेगा. अब वहां भी इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी ही लागू होगा.
वहां अब सुप्रीम कोर्ट का सेक्शन 377 पर फैसला लागू होगा. इसके अलावा पर्सनल लॉ और संपत्ति कानूनों में भी बदलाव होंगे.
हालांकि, आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज भी किया गया है. 14 नवंबर को कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है.
6 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब देश में 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं.
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