वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
वीडियो प्रोड्यूसर: कौशिकी कश्यप
मोबाइल बंद.
इंटरनेट बंद.
केबल टीवी बंद.
लैंडलाइन फोन बंद.
बाजार बंद.
काम धंधा सब बंद.
जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों, खासकर घाटी में क्या हो रहा है, ये जानकारी मुश्किल से मिल रही है. ऐसे में वहां क्या हो रहा है ये जानने के लिए क्विंट हिंदी पहुंचा श्रीनगर. क्विंट ग्राउंड रिपोर्ट की इस स्पेशल सीरीज में आप देखेंगे श्रीनगर की जमीनी हकीकत. हमारे कैमरे में जो कैद हुआ है वो वाकई चिंताजनक है. पहली कड़ी में देखिए बाहर के मजदूरों पर क्या बीत रही है.
राज्य से आर्टिकल 370, 35 'ए' हटाए जाने के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में कई प्रवासी मजदूर फंस गए हैं. पाबंदियों और भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बीच वो घर लौटने की कोशिश में लगे हुए हैं. उन्हें यहां पर कोई काम नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से पैसे की भी तंगी हो गई है. इन मजदूरों को कुछ समझ भी नहीं आ रहा है कि यहां हो क्या रहा है. इनके सामने राज्य को छोड़कर जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है.
चारों तरफ हंगामा, हड़ताल और कर्फ्यू है इसलिए हमलोग वापस जा रहे हैं. हम बटमालू से बस लेंगे और फिर जम्मू जाएंगे. जम्मू जाने के बाद क्या हालात होंगे, ये ऊपर वाला जानता है. यहां हालात खराब हैं. लोग बोल रहे हैं कि आर्टिकल (370) हटा दिया गया है. अब हमलोगों को क्या समझ में आएगा, हम तो मजदूरी का काम करने वाले लोग हैं.मोहम्मद इस्राफील, मजदूर, बिहार
अधिकतर मजदूर यहां बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत के राज्यों से काम करने आते हैं. स्थिति ये है कि कइयों के पास घर लौटने तक के पैसे नहीं हैं. घर से संपर्क नहीं हो पा रहा है क्योंकि इंटरनेट, मोबाइल सब बंद है.
घर में इस बात की कोई खबर नहीं है कि यहां के क्या हालात हैं. सिम, मोबाइल, इंटरनेट सब बंद है. ऐसे हालात में घर में क्या बात होगी? किसी को पता नहीं है कि हम यहां कुत्तों की तरह दौड़ रहे हैं.इमरान, मजदूर, मोतिहारी (बिहार)
हर साल घाटी में रोजगार के लिए करीब चार लाख कामगार आते हैं. इन मजदूरों का कहना है कि वे अच्छा-खासा कमा लेते हैं, उससे उनका घर आराम से चल जाता है. इस तरह के हालात से उनके सामने मुश्किलें खड़ी हो गई है. वो फिलहाल खाली हाथ ही लौटने को मजबूर हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)