बुल्ली बाई(Bulli Bai) केस में मुंबई पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. मुंबई पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है जिसमें बेंगलुरू का 21 वर्षीय व्यक्ति और उत्तराखंड की एक महिला शामिल है.
मुंबई पुलिस की साइबर विंग ने 3 जनवरी को बेंगलुरू निवासी को हिरासत में लिया था.हांलाकि, उसकी गिरफ्तारी मंगलवार 4 जनवरी को दोपहर में दर्ज की गई थी. सोशल मीडिया पर फैलाई गई बातों के विपरीत आरोपी मुस्लिम नहीं है.
सूत्रों के अनुसार, 'बेंगलुरू का रहने वाला आरोपी विशाल कुमार है. हालांकि, महिला इस मामले की मुख्य आरोपी है क्योंकि वह बुल्ली बाई ऐप से जुड़े कम से कम तीन खातों को संभाल रही थी.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि महिला को 3 जनवरी को भी हिरासत में लिया गया था
आपको बता दें, गिट हब प्लेटफॉर्म द्वारा एप बुल्ली बाई पर 1 जनवरी को सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की पहचान परेड और 'नीलामी' की गई. उल्लंघन करने वालों में से कुछ ने दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.
आरोपी ने गैर-हिंदू होने का नाटक किया
मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपी सोशल मीडिया पर दोस्त थे. दोनों एक दूसरे से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर जुड़े हुए थे. पुलिस ने आगे बताया कि विशाल ने गैर-हिंदू होने का नाटक कर गुमराह करने की कोशिश की. आरोपी विशाल ने "खालसा सुपरमिस्ट" नाम से एक अकाउंट खोला था.
घंटों पूछताछ के बाद दर्ज हुई गिरफ्तारी
सूत्रों के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने 21 वर्षीय आरोपी से घंटों पूछताछ के बाद गिरफ्तारी दर्ज करने का फैसला किया. द क्विंट से बात करते हुए , एक अधिकारी ने कहा, "हमारे पास मामले में आरोपी को पकड़ने के लिए ठोस सबूत हैं. हमारे पास एक ठोस मामला है. आरोपी को अदालत में पेश किया जाएगा."
हालांकि महिला अभी मुंबई में नहीं है. एक पुलिस सूत्र ने कहा, "उसे आगे की पूछताछ के लिए मुंबई भी लाया जाएगा." ट्रांजिट परमिट के लिए उसे पहले उत्तराखंड की एक अदालत में पेश किया जाएगा.
मुंबई पुलिस अन्य राज्यों के पुलिस विभागों के साथ सीधे सहयोग के बिना लोगों को हिरासत में लेती रही है. बेंगलुरु के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमें इस मामले में किसी भी आरोपी को हिरासत में लिए जाने के बारे में नहीं बताया गया."
विभाग के बचाव में, मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "हम अपराधियों को उनके निवास स्थान से भागने से रोकने के लिए गुपचुप तरीके से कदम उठा रहे हैं."
महाराष्ट्र के मंत्री सतेज डी पाटिल ने द क्विंट को बताया , "हम विवरण का खुलासा नहीं कर रहे हैं क्योंकि मामला कानून की जांच में खड़ा होना चाहिए. हमारे पास बैक करने के लिए पर्याप्त सबूत है." हालांकि, उन्होंने मामले में दूसरी नजरबंदी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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