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Independence Day 2021: अजय सिंह की कविता से समझिए भारत के असली मायने

द्रविड़ों आर्यों का भारत, राम है भारत, रहीम भी भारत

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15 अगस्त 2021 को भारत अपना 75वां आजादी का जश्न (Independence Day 2021) मना रहा होगा. हिन्दुस्तान कई धर्मों, संस्कृतियों और तमाम तरह की भाषाओं से मिलकर बनता है. शायद भारत इसीलिए ही तो भारत है. इसकी पहचान बहुत ही रंग-बिरंगी है जो दुनिया में किसी देश की नहीं. इसीलिए तो भारत सबसे अलग है. भारत किसी एक जाति-धर्म को मानने वालों का नहीं है बल्कि ये सबका है.

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भारत असल में क्या है और इसकी वास्तविक पहचान क्या है...इस बात को बता रही है कवि अजय सिंह की कलम से निकली ये शानदार कविता.

भारत क्या है?

जमीन का टुकड़ा

या तीन रंगों वाला झंडा

जन-गण-मन है भारत

या वंदे मातरम् भारत

दिन-रात भारत की बातें करने वाले

भारतीयों में ही फ़र्क करने वाले

तुम जानते भी हो क्या है भारत

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द्रविड़ों आर्यों का भारत

राम है भारत, रहीम भी भारत

पुराण कुरान गुरु ग्रंथ

ईसा मूसा बुद्ध नास्तिक सब भारत

कहीं गुप्त मौर्य का भारत

कहीं चोल चालुक्य का भारत

कभी मराठों राजपूतों का भारत

तो मुग़लों अंग्रेज़ों का भी भारत

जब भारत नहीं था, तब भी था अपना भारत

मेल्टिंग पॉट के जैसा

तीखे-मीठे कड़वे-नमकीन

सबको अपने में मिलाता चलता

सीखता सीखाता, गीले-शिकवे भूलाता चलता

संस्कृतियों की पिघलन है अपना भारत

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तुम प्रतीकों को जितना चाहे

पूजना है पूज लो

थिएटरों में खड़े कर

देशभक्ति के इम्तिहान भी ले लो

सच फिर भी यही है

भारतीयों के बिना

बस एक लेबल है भारत

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हम भारतीय नहीं क्यूंकि भारत है

भारत है क्यूंकि हम भारतीय हैं

भारतीयों से मोहब्बत कर लो

भारत से अपने आप हो जाएगी

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दोस्तों, चौहत्तर साल का हो गया है अपना आजाद भारत. हमारे बाप दादाओं ने लड़ाइयां लड़कर ये आजादी हासिल की थी. इसलिए नहीं कि कल को उनके बच्चे एक-दूसरे को सर्टिफिकेट देते फिरें - कौन भारतीय है, कौन नहीं. भारत हम सबका है. यहां अशोक भी महान हैं और अकबर भी. जो ये नहीं मानता, वो भारतीय नहीं.

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