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NRC| देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर का पहला वीडियो-ग्राउंड रिपोर्ट

ज्यादातर डिटेंशन सेंटर डिस्ट्रिक्ट जेल में ही बनाए गए हैं.

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

(ये स्टोरी सबसे पहले 04.09.19 को पब्लिश हुई थी. 22 दिसंबर को पीएम मोदी ने ये कहा कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है, ऐसे में हम इस कॉपी को दोबारा पब्लिश कर रहे हैं.)

पीएम मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में ये कहा कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है.

“देश के मुसलमानों को न डिटेंशन सेंटर में भेजा जा रहा है, न हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है, ये सफेद झूठ है, ये नापाक खेल है.” 
-22 दिसंबर 2019 को दिल्ली के रामलीला मैदान में पीएम मोदी

बता दें कि क्विंट ने डिटेंशन सेंटर तक पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट दी थी.

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) वैध निवासियों का एक रिकॉर्ड है और अवैध निवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर किया जाना है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि एक बार प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद, सरकार लिस्ट से बाहर हुए लोगों को कहां रखेगी?

असम की फाइनल एनआरसी लिस्ट से 19 लाख से ज्यादा लोग बाहर हैं. लिस्ट में कुल 3,11,21,004 लोगों को में शामिल किया गया है.

सरकार असम में डिटेंशन सेंटर का निर्माण कर रही है. क्विंट गुवाहाटी से 22 किलोमीटर दूर एक ऐसे डिटेंशन सेंटर में पहुंचा, जो अवैध नागरिकों को रखे जाने के लिए बनाई जा रही है. यहां के डिटेंशन सेंटर में हिरासत में लिए गए 3000 लोगों को रखे जाने की व्यवस्था है.

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असम में फिलहाल 6 डिटेंशन सेंटर हैं. सरकार की योजना 10 और डिटेंशन सेंटर बनाने की है. केंद्र सरकार ने इसके लिए फंड दिया है.ये डिटेंशन सेंटर 460 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए हैं.

ज्यादातर डिटेंशन सेंटर डिस्ट्रिक्ट जेल में ही बनाए गए हैं.

माटिया के इस डिटेंशन सेंटर में 15-15 मंजिल के चार टावर होंगे. हरेक टावर में 200 लोगों के रहने का इंतजाम है.

ये उम्मीद की जा रही है कि NRC सूची में शामिल नहीं होने वाले लाखों लोगों को विदेशी घोषित किया जाएगा और उन्हें इन डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा.

माटिया के इस डिटेंशन सेंटर में स्कूल और अस्पताल के साथ पुरुष और महिलाओं के रहने के लिए अलग-अलग क्वार्टर भी होंगे. दिसंबर 2019 में असम का नया डिटेंशन सेंटर तैयार होने की उम्मीद है.

2 सितंबर को गृह मंत्रालय ने कहा कि असम में अंतिम NRC सूची से बाहर रहने वालों को किसी भी परिस्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक कि उनके लिए कानून के तहत उपलब्ध सभी उपाय खत्म नहीं हो जाते. ऐसे लोग किसी भी अन्य नागरिक की तरह अपने सभी अधिकारों का इस्तेमाल कर सकेंगे और 120 दिनों के अंदर फॉरेन ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं,

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