टीम इंडिया शानदार फॉर्म में है. मैदान साउथ अफ्रीका का है. हौसला विराट है. लेकिन इस सबके बीच क्या वो हो पाएगा जो आज तक नहीं हुआ. यानी साउथ अफ्रीका में सीरीज की जीत. ये समझने के लिए पहले नजर डालते हैं टीम इंडिया के अब तक हुए साउथ अफ्रीका दौरों पर...
1992-93 में भारत का पहला दौरा
रंगभेद की वजह से दक्षिण अफ्रीका पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 1970 से 1991 तक बैन रहा. जब ये हटा तो 1992-93 में भारतीय क्रिकेट टीम, द.अफ्रीका का दौरा करने वाली पहली टीम थी. पहले दो टेस्ट ड्रॉ करने के बाद टीम इंडिया ने तीसरा टेस्ट 9 विकेट से गंवा दिया. आखिरी टेस्ट ड्रॉ होने की वजह से दक्षिण अफ्रीका ने सीरीज 1-0 से जीत ली. वनडे सीरीज में तो पूरी तरह मेजबान टीम का दबदबा रहा. 7 मैचों की सीरीज में टीम इंडिया को 2-5 से हार मिली.
फिर आया साल 1996-97. यानी, सचिन की कप्तानी का इम्तेहान होना था. अजहर का दौर करीब-करीब बीत चुका था. इस दौरे पर भारतीय टीम का प्रदर्शन शुरुआती दो टेस्ट मैचों में खराब रहा और दक्षिण अफ्रीका ने 2-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली थी. अंतिम टेस्ट में राहुल द्रविड़ और जवागल श्रीनाथ के बेहतर प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया जीत हासिल करने के करीब थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीका मैच ड्रॉ करने में कामयाब रहा.
2006 में श्रीसंत की धारदार गेंदबाजी भी नहीं आई काम
भारत, दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे के बीच ट्राई-सीरीज में भारत घरेलू टीम के खिलाफ एक भी मैच नहीं जीत सका. टीम इंडिया का 2006 दौरा याद रखा जाएगा तो श्रीसंत की गेंदबाजी के लिए. श्रीसंत की बदौलत, पहली बार टीम इंडिया अफ्रीका में एक टेस्ट जीतने में कामयाब रही. हालांकि इसके बाद टीम ने बाकी दोनों टेस्ट हारकर सीरीज 1-2 से गंवा दी.
2013 दौर में विराट-पुजारा चमके पर टीम नहीं
2010-11 का दौरा किसी भी भारतीय टीम का अब तक का सर्वश्रेष्ठ दक्षिण अफ्रीका दौरा साबित हुआ है. पहला टेस्ट भारतीय टीम पारी और 87 रनों से हार गई. दूसरे टेस्ट में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा और जहीर खान की गेंदबाजी ने टीम को जीत दिला दी. अगला टेस्ट ड्रॉ रहा और सीरीज भी 1-1 से बराबर रही. वनडे सीरीज में 2-1 की बढ़त हासिल करने के बाद भारतीय टीम ने इसे 2-3 से गंवा दिया.
पिछला दौरा 2013 में हुआ. विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा के बल्लों ने आग तो उगली लेकिन सीरीज जीतना सपना ही बना रहा.
अब एक बार फिर टीम इंडिया साउथ अफ्रीका में है. इस बार मौका भी है और दमखम भी. ये टीम इंडिया अलग है, बेहतर है, दमदार है. तो उम्मीद कीजिए कि जो पिछले 25 साल में न हो सका, वो अब होकर रहेगा.
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