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हरियाणा में गोरक्षा का सच, क्विंट ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्री

2016 में, हरियाणा सरकार ने गो संरक्षण क़ानून लागू किया था

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2016 में, हरियाणा सरकार ने गो संरक्षण कानून पारित किया, जिसके तुरंत बाद, क्विंट ने हरियाणा के मेवात का दौरा किया, और पाया कि कानून ने 'गौ रक्षकों' को अधिक हिंसक होने और अधिक निर्दोष लोगों को निशाना करने के लिए फ्री पास दे दिया था. इस कानून के लागू होने के पांच साल बाद, क्विंट ने एक बार फिर से मेवात का दौरा किया. और पता लगाया कि क्या गायों को वास्तव में कानून के तहत संरक्षित किया जा रहा है? क्या गायों को आश्रय देने और खिलाने के लिए पर्याप्त गौशालाओं की व्यवस्था हुई है?

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हमें पता चला कि सरकार न केवल गो तस्करी और वध रोकने में विफल रही है, बल्कि ये भी कि क़ानून 'गो रक्षकों' द्वारा निर्दोष लोगों को परेशान करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी बन गई है; खासकर मुसलमान इसका निशाना बन रहे हैं.

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क्विंट ने मामले की गहराई तक जाने के लिए गोशाला मालिकों, गो रक्षकों, हरियाणा पुलिस, गोरक्षा कानून के तहत मुकदमे का सामना कर रहे लोगों और बरी हो चुके लोगों सहित विभिन्न लोगों से बातचीत की.

"मुझे नहीं पता कि पुलिस ने मुझे क्यों उठाया. मैं अपने फल का ठेला लगा रहा था. पुलिस ने कहा कि मैं गोमांस बेचता हूं, लेकिन मेरे पास कुछ भी नहीं था"
जुबेर, निवासी मेवात

27 वर्षीय जुबेर को 2017 में गोहत्या और गोमांस रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जुबेर को एक महीने में जमानत मिल गई, लेकिन मुक़दमा ख़त्म होने में चार साल लग गए. मार्च 2021 में उन्हें बरी कर दिया गया. लैब रिपोर्ट से निष्कर्ष निकला कि उनके पास जो मांस था, वो न तो भैंस का था और न ही गाय का. आरोपों के मुताबिक गांव में दुश्मनी है, लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों को फंसाने की कोशिश करते हैं.

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हालांकि बरी कर दिए गए, जुबेर को फिर से फंसने का डर है. उनके वकीलों का दावा है कि पुलिस गौ रक्षक के आदेश पर काम करती है, न कि सबूतों के आधार पर.

“गो रक्षक सत्तारूढ़ सरकार का समर्थन करते हैं. उनकी बात सुनने के लिए पुलिस को ऊपर से निर्देश हैं. ये समय की बर्बादी है, क्योंकि वे अदालत में कुछ भी साबित नहीं कर पाते. पुलिस हमें बताती है कि वे अपनी नौकरी बचाने के लिए गो रक्षकों की बात सुनते हैं"
ताहिर देवला, वकील
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हालांकि गो रक्षकों का कहना है कि हरियाणा पुलिस गो हत्या को रोकने में नाकाम रही है.

"गो हत्या रात में होती है, रोजाना कई गायों का वध किया जाता है. प्रशासन हमारी मदद नहीं कर रहा है. ये कहना कि वे गो-रक्षकों की मदद करते हैं, झूठ है. गो तस्कर कानून का मजाक उड़ाते हैं. ज्यादातर पुलिसकर्मी रिश्वत लेते हैं, और चार्ज नहीं करते हैं. हमने कई मामले दर्ज कराए हैं, लेकिन किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया"
लोकेश सिंघला, गो रक्षक
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"मुझ पर किशोर गृह में हुआ हमला"

आरिफ नाबालिग था, जब उसे 2017 में हरियाणा पुलिस ने उसके पिता के होटल से गोमांस रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

“मैं कॉलेज के लिए सुबह 7:30 बजे घर से निकला था. मैं बस का इंतजार कर रहा था. पुलिस आई और मुझे और स्टाफ को ले गई, मैंने कहा कि मैं कॉलेज जा रहा हूं, मुझे हिरासत में क्यों लिया जा रहा है. मैंने कहा मैं एक छात्र हूं, मेरे पिता से बात करो, लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी और मुझे पीटना शुरू कर दिया. वर्षों बीत गए लेकिन पुलिस सबसे महत्वपूर्ण सबूत मांस को लेकर लैब की रिपोर्ट पेश करने में नाकाम रही है. आरिफ ने दावा किया कि किशोर गृह में उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई थी.

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“नए कानून से कोई फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि सरकार इसे लागू करने में विफल रही है. सबूतों के अभाव में पुलिस मुकदमों को अदालत में साबित करने में विफल रहती है
हरियाणा गौशाला संघ के उपाध्यक्ष बलदेव शर्मा

हरियाणा गौशाला संघ के उपाध्यक्ष 85 वर्षीय बलदेव शर्मा ने कहा कि 'गौ रक्षा' कानून काम नहीं आया. यहां तक कि पुलिस ने भी माना कि गाय की तस्करी और हत्या बंद नहीं हुई है.

"कमी हुई है, लेकिन अभी भी कई गायों का वध किया जाता है. ये रात में होता है, जब पुलिस की छापेमारी होती है, तो अपराधी मौके से भाग जाते हैं. अदालत में, वे दोषी नहीं होने का अनुरोध करते हैं साथ ही, कोई गवाह आगे नहीं आता है, और कुछ गवाह मुकड़ जाते हैं.
- नरेंद्र बिजारनिया, पुलिस अधीक्षक, मेवात
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हमने यह भी पाया कि गो संरक्षण अधिनियम का लाभार्थी - गाय - वास्तव में पहले से भी बदतर स्थिति में थी. हरियाणा सरकार ने पिछले पांच वर्षों में नई गौशालाओं का निर्माण किया है, लेकिन पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं मिल पा रही है.

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