15 दिसंबर 2019 को दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर पुलिस और छात्रों में झड़प होती है. जिसके बाद पुलिस जामिया की लाइब्रेरी में घुसती है. सोशल मीडिया पर जामिया की लाइब्रेरी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक लड़के को लेकर बार-बार सवाल उठ रहे हैं.
वीडियो को दिखाकर ये दावा किया जा रहा है कि एक लड़का लाइब्रेरी के रीडिंग रूम में रुमाल से चेहरे को छिपा रहा है और उसके सामने एक किताब है जो बंद पड़ी है. बीजेपी के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने भी वीडियो शेयर कर सवाल उठाया है कि लाइब्रेरी में मास्क लगाकर कोई क्यों बैठा है? किताब बंद पड़ी है, लड़का बार-बार दरवाजे की तरफ घबराकर क्यों देख रहा है. क्विंट ने वीडियो में दिख रहे उस स्टूडेंट से बात की और उन सारे सवालों के जवाब जानने की कोशिश की जो सोशल मीडिया पर पूछे जा रहे हैं.
दरअसल, उस स्टूडेंट का नाम सलमान है, जो जामिया से पीएचडी कर रहा है. क्विंट से बात करते हुए सलमान ने मुंह पर रुमाल रखने के पीछे की कहानी बताई है. सलमान कहते हैं,
मैं हमेशा की तरह वहां पढ़ने गया था. मेरा इंजीनियरिंग सर्विस का पेपर था उसी की तैयारी कर रहा था. कई लोग मास्क को लेकर सवाल उठा रहे हैं, जामिया के बाहर सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध चल रहा था, जिसमें पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे. मैं पहली मंजिल पर था, ग्राउंड फ्लोर पर इतना ज्यादा आंसू गैस के गोले छोड़े थे कि हर तरफ धुंआ-धुंआ था. मैं नीचे गया तो देखा हर तरफ हंगामा था. जिससे सांस लेने में बहुत मुश्किल हो रही थी. जिस वजह से मैंने चेहरे पर रुमाल लगाया था. ये कोई मास्क नहीं है, बल्कि बस रुमाल है. मैं बाहर से आकर रीडिंग रूम में बैठ गया. वीडियो में सिर्फ मैंने ही मुंह और नाक नहीं ढक रखा है, बल्कि जिन पुलिसवालों ने हमें मारा है उन्होंने भी अपना चेहरा रुमाल से ढक लिया है, क्योंकि सांस लेने में उन्हें भी दिक्कत हो रही थी.
जब क्विंट ने सलमान से किताब बंद रखने के बारे में पूछा तब उन्होंने पूरी वीडियो देखने की बात कही. उन्होंने कहा,
“मेरे पास जो हरे रंग की बंद किताब रखी हुई है वो मेरी किताब है, वो इंजीनियरिंग सर्विस में एक नॉन-टेक पेपर होता है उसकी किताब है. अगर आप पूरा वीडियो देखेंगे तो पता चलेगा कि पहले में दूसरे साइड बैठा था, फिर मैंने अपनी किताब उठाई पढ़ने बैठा, उसी वक्त रुमाल भी लगाया. लेकिन उसके बाद मैं सामने आकर बैठ गया. क्योंकि बाहर बहुत हंगामा हो रहा था. ग्राउंड फ्लोर पर जो बच्चे थे वो ऊपर भाग कर आ रहे थे. पुलिस इस तरह से दरवाजा तोड़ रही थी जैसे बच्चे नहीं कोई आतंकी हो. इसलिए हम लोग डरे हुए थे कि पुलिस ऐसे कैसे लाइब्रेरी में आ सकती है? जो लोग बाहर प्रोटेस्ट या हुड़दंग कर रहे हैं पुलिस उनसे डील करती. हम लोग तो पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन मुझे बदनाम करने की कोशिश हो रही है.”
सलमान ने पत्थरबाजी के सवाल पर कहा कि वो बिल्कुल भी इन सबमें नहीं थे, अगर किसी को ऐसा लगता है तो वो बाकी फूटेज देख ले. मैं किसी भी तरह के हिंसा में नहीं था. उन्होंने कहा, मैं एक बजे ही लाइब्रेरी आ गया था. खाना खाने बाहर आया था, नमाज को गया. लेकिन मैं किसी भी हंगामे में नहीं था. जब आंसू गैस के गोले और हंगामे की खबर आई तब हम बस अपने रीडिंग रूम के नीचे गए थे. फिर हम वापस आकर बैठ गए क्योंकि बाहर सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.”
पुलिस की पिटाई से सलमान के हाथ में चोट आई थी. फिलहाल वो डरे हुए हैं और उनके बारे में सोशल मीडिया पर चल रही खबर से परेशान हैं.
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