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झज्जर: ‘4 साल की पढ़ाई के बाद भी हमें इंजेक्शन लगाना तक नहीं आया’

झज्जर में पिछले कई दिनों से वर्ल्ड कॉलेज ऑफ साइंस के छात्र धरना प्रर्दशन कर रहे हैं

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वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

वीडियो प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी

हरियाणा के झज्जर में पिछले कई दिनों से वर्ल्ड कॉलेज ऑफ साइंस के छात्र धरना प्रर्दशन कर रहे हैं. उनकी मांग हैं कि उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता वाले किसी दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर किया जाए.

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हमारा कॉलेज 3 बार M.C.I के निरीक्षण में फेल हो चुका है, जिसके कारण हमारे कॉलेज में नए छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी गई है. सिर्फ 2016 का बैच कॉलेज में मौजूद है. इसके कारण हमें हमारी डिग्री की मान्यता खोने का डर है.

इस उम्मीद में कि राज्य सरकार उनकी गुहार सुनेगी, छात्र 5 अक्टूबर को अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल पर बैठ गए.

“27 अगस्त को हमने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को चिट्ठी लिखी थी, लेकिन किसी ने हमारी गुहार नहीं सुनी. हम तो देश की सेवा करने के लिए डॉक्टर बनने आए थे, लेकिन लगता है देश की जनता और मंत्रियों को हमारी फ्रिक ही नहीं है.”
दीपांशु, MBBS छात्र

छात्रों को समझ नहीं आ रहा है कि कॉलेज के हालात, इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचर्स, स्टाफ, मरीजों की कमी होने के बावजूद कॉलेज को कैसे पहले बैच के एडमिशन की इजाजत मिल गई.

2017 में आई एक रिर्पोट में सामने आया था कि कुछ अधिकारियों को एडमिशन पर रोक के फैसले को पलटने के लिए रिश्वत दी गई. इसमें हमारा क्या कसूर है?

“हमने 2016 में NEET पास किया. हमने सही तरीके से यहां एडमिशन लिया. हमने देखा सरकार इस कॉलेज की जिम्मेदारी ले रही है. हमने वक्त पर फीस जमा की. सभी परीक्षा पास की. रिर्पोट का हमें नहीं पता. हमें जानना है कि क्वालिटी मेडिकल एजुकेशन क्यों नहीं मिल रही है.”
स्वप्निल, MBBS छात्र

हमें RTI से पता चला कि कॉलेज MCI के निरीक्षण में फेल हो गया है. तीसरे साल के रिन्यूअल पर MCI ने लिखा कि `बोर्ड गवर्नर ने फैसला लिया है कि- ट्रस्ट एंड मेडिकल कॉलेज के तीसरे साल के रिन्यूअल और चौथे साल के MBBS एडमिशन बिना मेरिट के हैं और इस निवेदन को हम खारिज करते हैं.’

इसके चलते मौजूदा बैच का रिन्यूअल और चौथे साल के एडमिशन को रद्द कर दिया गया है. अनिवार्यता प्रमाण पत्र जो सरकार कॉलेज को जारी करती है, उसमें साफ लिखा है कि अगर कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर कि सुविधाएं पूरी करने में नाकाम रहता है या नए एडमिशन रुक जाते हैं तो उस संस्थान में पढ़ रहे छात्र राज्य सरकार की जिम्मेदारी होते हैं. राज्य सरकार उन छात्रों को दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर कर सकती है. ऐसा कुछ भी होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.

“हमारा एक ही बैच है और उसका भी रिन्यूअल रद्द कर दिया है, जिसके कारण न हमें डिग्री मिलेगी और न तो हम आगे की पढ़ाई कर सकते हैं. न कहीं प्रैक्टिस कर सकते हैं.”
कोमल, MBBS छात्र

हमारा भविष्य अनिश्चित है. हमें सिर्फ झूठे आश्वासन मिल रहे हैं. इसका कोई समाधान नहीं निकल रहा है. हमारी कोई नहीं सुन रहा है.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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