झारखंड (Jharkhand) के15 लाख के इनामी माओवादी नक्सली कमांडर मिथिलेश सिंह (Mithilesh Singh) उर्फ दुर्योधन महतो उर्फ बड़ा बाबू ने सरेंडर कर दिया है. उस पर कुल 104 केस दर्ज हैं. मिथलेश ने शुक्रवार, 10 फरवरी को रांची में झारखंड पुलिस एवं सीआरपीएफ के अफसरों के समक्ष सरेंडर किया.
पिछले 30 सालों से था मोस्ट वॉन्टेड
मिथिलेश सिंह पिछले तीस सालों से पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड था. उस पर पुलिस स्टेशन और सीआरपीएफ कैंप पर हमला बोलकर पुलिसकर्मियों के हथियार लूटने सहित हत्या, आगजनी और वसूली के आरोप हैं.
मिथिलेश सिंह दिनों पुलिस और सुरक्षा बलों के लगातार बढ़ते दबाव और नक्सल प्रभावित इलाकों की घेराबंदी के बाद वह पुलिस अफसरों के संपर्क में आया और हथियार डालने की इच्छा जताई.
मिथिलेश ने सरेंडर करते वक्त कहा कि संगठन अपनी राह भटक गया है, जिसके चलते जनता से पूरी तरह कट गया है.
उसने कहा कि जिस तरह से अफवाह उड़ाई जाती है कि पुलिस प्रशासन द्वारा क्रूर अत्याचार किया जाता है, ऐसा हमारे साथ कुछ भी नहीं हुआ है. यहां आने से ये लोग हमारे साथ बहुत अच्छा व्यहार किए हैं. जो लोग भी हथियार थामे जंगल में हैं, उनको पुलिस मुख्यालय आकर आत्मसमर्पण कर देना चाहिए. संगठन की स्थिति इस वक्त बहुत खराब चल रही है, बहुत कमजोर हो गया है क्योंकि यह अपनी नीति से हट गया है.
शुक्रवार को जब मिथिलेश ने रांची रेंज के आईजी कार्यालय में सरेंडर किया, तो झारखंड पुलिस के आईजी अभियान एवी होमकर, रांची रेंज के आईजी पंकज कंबोज सहित राज्य पुलिस और सीआरपीएफ के कई आला अधिकारी मौजूद थे.
आईजी ऑपरेशन्स एवी होमकर ने कहा कि झारखंड सरकार की नीतियों और नक्सली संगठन के शोषण को देखकर अब नक्सली सरेंडर कर रहे हैं और कमजोर हो रहे हैं
पुलिस अफसरों ने बताया कि झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के अंतर्गत ऊपरघाट, झुमरा पहाड़, विष्णुगढ़ और रामगढ़, बोकारो आदि इलाकों में नक्सली गतिविधियों की कमान दुर्योधन (मिथिलेश) के जिम्मे थी. वह 90 के दशक में छात्र संगठन से जुड़कर माओवादी संगठन में शामिल हुआ था. वक्त गुजरने के साथ उसका ओहदा बढ़ता गया.
2001 में उसे माओवादी संगठन में झारखंड रीजनल कमेटी का सदस्य बना दिया गया. इस बीच दुर्योधन एक बार गिरफ्तार होकर जेल गया. साल 2013 में जेल से बाहर निकलने के बाद वह दोबारा नक्सली संगठन में शामिल हो गया था. साल 2018 में उसे फिर से झारखंड रीजनल कमेटी का सदस्य बनाया गया.
CRPF कैंप और रेलवे पुलिस पर हमले जैसे आरोप
धनबाद जिले के तोपचांची प्रखंड अंतर्गत गेंदनावाडीह के रहने वाले मिथिलेश सिंह का नाम झुमरा पहाड़ पर बने सीआरपीएफ कैंप पर हमला और खासमहल के सीआइएसएफ बैरक पर हमला कर हथियार लूट की घटना में सुर्खियों में आया था.
साल 2003 में चंद्रपुरा रेलवे स्टेशन पर स्थित पुलिस थाने पर हमला कर उसने करीब दो दर्जन हथियार लूट लिए थे. मिथिलेश पर बोकारो में 58, चतरा में पांच, सरायकेला खरसावां में चार, खूंटी में 3, चाईबासा में 2, हजारीबाग में 26, धनबाद में एक और गिरिडीह जिले में पांच केस दर्ज हैं.
बता दें कि इसके पहले गुरुवार को भी झारखंड के चतरा जिला निवासी 15 लाख के इनामी माओवादी नक्सली अभ्यास भुइयां उर्फ प्रेम भुइयां ने बिहार की गया पुलिस के समक्ष हथियार के साथ सरेंडर किया था. उस पर बिहार की पुलिस ने भी 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था.
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