“3 साल तक पीएम नरेंद्र मोदी से कहता रहा कि दलितों और पिछड़ों की बात सुनिए उनके हित के लिए काम कीजिए, लेकिन उन्होंने नहीं किया. नहीं किया इसलिए ही तो एनडीए से अलग हो गए. सत्ता छोड़कर हम विपक्ष में आए हैं. कोई आता है क्या सत्ता छोड़कर”? ये कहना है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का.
क्विंट से खास बातचीत में जीतन राम मांझी ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ से लेकर राहुल गांधी के नेतृत्व के सवालों तक पर बेबाक जवाब दिया.
क्या 2019 में राहुल के नेतृत्व में लड़ेंगे चुनाव?
जीतन राम मांझी से जब पूछा गया कि क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा,
नेतृत्व का सवाल इतना अहम नहीं है, बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष को एक होना होगा. 2019 में प्रधानमंत्री के नाम पर जीत के बाद फैसला होना चाहिए. जिस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी उसी पार्टी का प्रधानमंत्री बने.जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार
बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में जेडीयू को करारी हार मिली थी. हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को सीएम बनाया था. उन्हें दलित मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया गया था.
मांझी 9 महीने तक बिहार के सीएम बने रहे. जिसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम पद छोड़ने को कहा, लेकिन उन्होंने पद छोड़ने से इंकार कर दिया. जिसके बाद मांझी को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया.
मांझी ने बनाई हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर
इन सबके बाद मांझी ने अपनी खुद की पार्टी हिन्दुस्तानी अावाम मोर्चा सेक्युलर का गठन किया. भले ही मांझी नीतीश कुमार से अलग हो गए हों, लेकिन वो 3 साल तक एनडीए का हिस्सा बने रहें. लेकिन अभी हाल ही में वो एनडीए छोड़ आरजेडी-कांग्रेस वाले महागठबंधन में शामिल हो गए.
तेजस्वी के सरकार बनाने का मिले मौका
बता दें कि कर्नाटक के तर्ज पर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटों का हवाला देते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया. तेजस्वी के सरकार बनाने के दावे पर मांझी ने कहा, "मैं सबसे बड़ा गवाह हूं, बिहार के राज्यपाल ने तेजस्वी यादव को मौका नहीं दिया, आरजेडी के पास सबसे ज्यादा विधायक हैं. आरजेडी के साथ अन्याय हुआ."
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