उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित अभद्र टिप्पणी करने के मामले में गिरफ्तार फ्रीलांस पत्रकार प्रशांत कनौजिया जेल से रिहा हो गए हैं. जेल से निकलने के बाद कनौजिया ने कहा, ‘‘मुझे संविधान पर पूरा भरोसा है. मैं पहले सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर पढ़ूंगा फिर विस्तार से मीडिया से बात कर के सब बताऊंगा.’’
प्रशांत कनौजिया को बीस-बीस हजार के दो निजी मुचलके भरवाने के बाद रिहा किया गया है. साथ ही तीन शर्तों के बाद ही प्रशांत की रिहाई को मंजूरी मिली है.
ये तीन शर्तें हैं:
- कोर्ट के आदेश पर बुलाने पर हाजिर होना
- सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करना
- आगे से ऐसी किसी भी गतिविधि में दोबारा संलिप्त न होना
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे प्रशांत की रिहाई के ऑर्डर
प्रशांत कनौजिया की पत्नी ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रशांत की रिहाई के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक प्रशांत की गिरफ्तारी गैर-जरूरी थी.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी की बेंच ने कहा, "हम राज्य की ओर से पत्रकार को गिरफ्तार करने की कार्रवाई के बाद उसकी स्वतंत्रता छीना जाना नामंजूर करते हैं."
साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश के वकील की कनौजिया की गिरफ्तारी को सही ठहराने की कोशिश को नामंजूर करते हुए कहा, "हम उस देश में रहते हैं जिसका एक संविधान है और यह दुनिया में सबसे बेहतरीन है."
वकील ने बहस के दौरान कहा कि कनौजिया ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट से किसी के अधिकार का हनन किया लेकिन अदालत ने कहा कि इसे किसी व्यक्ति को सलाखों के पीछे डालकर सही नहीं ठहराया जा सकता.
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