साल 2018 में पंजाब यूनिवर्सिटी दो नई घटनाओं की गवाह बनी. पहला, छात्रसंघ में एक महिला अध्यक्ष का चुना जाना और दूसरा, भगत सिंह की पार्टी से प्रेरणा लेकर उनका चुनाव लड़ना. चुनाव में स्टूडेंट्स फॉर सोसाइटी (एसएफएस) ने भारी मतों से जीत दर्ज की. कनुप्रिया इस कैंपस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं.
कनुप्रिया ने अपनी जीत पर क्विंट से बात करते हुए कहा:
साल 2010 से मुख्यधारा और पैसे की राजनीति के खिलाफ एसएफएस एक आंदोलन की नींव रख रहा था. ये जीत उसकी भी बहुत बड़ी सफलता है और उसमें एक उभरती महिला उम्मीदवार होना और भी खुशी की बात है.कनुप्रिया, प्रेसिडेंट, पंजाब यूनिवर्सिटी
एसएफएस की विचारधारा के बारे में उन्होंने कहा, ''जब भी हम यूनिवर्सिटी में एक सोच को आगे रखते हैं, उसके पीछे भगत सिंह की सोच होती है, जो कहती है कि हम पढ़ाई करते हुए सामाजिक परेशानियों का सामना नहीं कर रहे, उनकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे, सुझाव की बात नहीं कर रहे हैं तो वो पढ़ाई निकम्मी है.''
यूनिवर्सिटी के नए वीसी राज कुमार आरएसएस से जुड़े हैं. कनुप्रिया ने कहा कि कैंपस में एबीवीपी को लेकर पक्षपात किया गया.
अभी तक हमने 2-3 ऐसे उदाहरण देखे हैं, जहां पक्षपात किया गया. वीसी दफ्तर में सिर्फ 5 लोगों को मिलने की अनुमति है, वहां पूरी की पूरी एबीवीपी सोफे पर बैठकर मीटिंग करती है. कोड आॅफ कंडक्ट लागू होने के बाद भी उनका कैंपेन रात के 10 बजे तक चलता है, तो ये पक्षपात दिखता है. हम आशा करते हैं कि वीसी आगे ऐसा नहीं करेंगे.कनुप्रिया, प्रेसिडेंट, पंजाब यूनिवर्सिटी
कैंपस में कनुप्रिया ने जीत के बाद इन 3 मुद्दों को प्रथमिकताओं में शामिल करने की ठानी है. पहला, जनरल बाॅडी मीटिंग के जरिये यूनिवर्सिटी काउंसल का संचालन. दूसरा, कैंपस में प्राइवेटाइजेशन को लेकर, चाहे वो सेल्फ फाइनेंस माॅडल के तहत नया हाॅस्टल बने या फी स्ट्रक्चर हो, उसे लेकर सवाल उठाए जाएं, इस पर चर्चा हो.
तीसरा, वो कैंपस में लड़कियों को कैद कर बाहर के ‘खतरनाक माहौल’ से बचाए जाने की धारणा तोड़ना चाहती हैं. उनका मानना है कि लड़कियों के हाॅस्टल में आने-जाने की सुविधा 24*7 मिलनी चाहिए.
वीडियो में देखें कनुप्रिया से क्विंट की पूरी बातचीत.
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