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दिल्ली के अस्पतालों में कैसे मिलेगा मरीजों के लिए बेड,यहां है जवाब

कपिल चोपड़ा ‘चैरिटी बेड्स डॉट कॉम’ के फाउंडर हैं. ये पहल गरीबों को हॉस्पिटल में बेड मुहैया कराने में मदद करती है.

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

देशभर में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने और हॉस्पिटल में बेड की संख्या कम होने की खबरें आ रही हैं. क्या दिल्ली के अस्पतालों में संकट की स्थिति है? बेड की संख्या कम है? स्टाफ कम हैं? इस बारे में हम बात कर रहे हैं कपिल चोपड़ा से, जो ‘चैरिटी बेड्स डॉट कॉम’ charitybeds.com के फाउंडर हैं. ये इनिशिएटिव गरीबों को हॉस्पिटल में बेड मुहैया कराने में मदद करती है.

दिल्ली बेस्ड ये संगठन शहर के गरीबों को प्राइवेट अस्पतालों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए रिजर्व बेड तक पहुंच बनाने में मदद करता है. ये संगठन 8 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहा है.

कोरोना वायरस संकट के बीच बेड की डिमांड और सप्लाई के मैनेजमेंट को हम कपिल चोपड़ा से समझने की कोशिश करेंगे.

कपिल कहते हैं- “अस्पतालों पर दवाब बढ़ा है. प्राइवेट सेक्टर को आगे आकर लीडरशिप देनी पड़ेगी. कई लोग काम कर रहे हैं. हम सिर्फ सरकार पर निर्भर नहीं कर सकते. हम सब की एक जिम्मेदारी है.”

चैरिटी बेड डॉट कॉम के ट्विटर, फेसबुक और वेबसाइट के जरिये, दिल्ली में कोरोना पेशेंट के लिए आसानी से बेड किस अस्पताल में मिलेंगे, उसकी जानकारी हर घंटे अपडेट होती रहती है.

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कोरोना वायरस को लेकर सरकार के मैनेजमेंट के बारे में वो कहते हैं कि कोविड और नॉन कोविड अस्पतालों को अलग करने की जरूरत है. सरकार को ये कदम उठा लेना चाहिए. साथ ही वो धार्मिक स्थलों को खोलने के फैसले को गलत बताते हैं.

दिल्ली में स्थिति गंभीर है?

इस बारे में कपिल कहते हैं कि सबसे बड़ा डर ये है कि अगर हेल्थ केयर वर्कर्स इंफेक्ट होना शुरू हो गए तो बहुत गंभीर स्थिति खड़ी हो जाएगी. एम्स में ऐसा हो चुका है. उन्होंने कहा कि हेल्थ स्टाफ की सैलरी डबल कर देनी चाहिए, वो काफी ज्यादा रिस्क लेकर काम कर रहे हैं.

वो आगे कहते हैं-

कोरोना का चक्र 12 से 14 दिन का होता है. अगर आप हॉस्पिटल में एडमिट हो जाते हैं तो 10 दिन तक एक बेड ऑक्यूपाइड हो जाता है. आईसीयू में 6 से 8 दिन तक एक बेड ऑक्यूपाइड हो जाता है. इसकी वजह से बेड खाली नहीं होता और दिल्ली में हालात अभी गंभीर कही जा सकती हैं. कोरोना वायरस के बीच इंफॉर्मेशन का एक बहुत बड़ा गैप हो गया है. दिल्ली में हमने कम्युनिकेशन गैप खत्म करने की कोशिश की. अगर आज हमसे पूछा जाए कि प्राइवेट हॉस्पिटल में कोई पेशेंट कहां जा सकता है और सरकारी हॉस्पिटल में कोई कहां जा सकता है तो हम उसे तुरंत बता सकते हैं. हम हर घंटे लाइव अपडेट देने की कोशिश कर रहे हैं कि दिल्ली में कहां कितने बेड खाली हैं? ये सच्चाई है कि 90% लोगों को हॉस्पिटल जाने की जरूरत नहीं है.  

नागरिकों का भी बहुत बड़ा रोल है. अगर आप घर से काम कर सकते हैं तो घर से काम कीजिए. 2 मीटर की दूरी बनाकर रखें. जितना ज्यादा हो सके अस्पताल जाने से बचें.

देखिए ये पूरा इंटरव्यू.

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