वीडियो एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन
कैमरापर्सन: संजय देब
असिस्टेंट कैमरापर्सन: गौतम शर्मा
एक्टर और सिंगर करण ओबेरॉय को एक महीने तक जेल में रखा गया. उन पर एक महिला के रेप का आरोप था. लेकिन इस मामले में मुंबई के ओशिवारा पुलिस ने पाया कि महिला ने अपने वकील की मदद से करीब दो हफ्ते पहले खुद पर हमला करवाया था.
पुलिस ने इस महिला को करण के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करने के आरोपों में गिरफ्तार किया है. लेकिन महिला ने आरोपों को झूठा ठहराया है. उसका कहना है कि ये एक साजिश है जिसमें उसे उसके वकील ने ही फंसाया है.
शिकायतकर्ता ने 6 मई को मुंबई के ओशिवारा पुलिस स्टेशन में करण ओबरॉय के खिलाफ धारा 376 (बलात्कार) और 384 (जबरन वसूली) के तहत एफआईआर दर्ज कराया था. उसने आरोप लगाया कि ओबेरॉय ने शादी का झांसा देकर उसका रेप किया. सिर्फ इतना ही नहीं एक्टर ने वीडियो बनाकर वायरल करने की भी धमकी दी.
महिला के मुताबिक करण ने डिमांड की कि अगर महिला उन्हें मुंह मांगे पैसे दे देती है तो वो उसके साथ ऐसा कुछ नहीं करेंगे.
इस पूरी घटना पर हमने करण से बातचीत की. करण के जेल जाने के बाद ‘मेन टू’ (#MenToo) मूवमेंट भी सामने आया.
इसपर करण कहते हैं,
‘एनएचआरसी के एक सर्वे में मैंने पढ़ा था कि ‘मी टू’ के 50% केस फर्जी थे और बाकी 20-25% केस ऐसे हैं जिन्हें अदालत के बाहर ही सेटल कर दिया जाता है. तो देखा जाए तो ये लगभग एक हेरफेर और जबरन पैसे वसूलने का टूल बन गया है. वैसे लोग इसके शिकार हो रहे हैं जिन्हें सपोर्ट करने के लिए कोई नहीं है. इस सब में हमने जो देखा है वो ये ‘मेन टू’ है.
(नोट: बताया गया आंकड़ा 2014 में दिल्ली महिला आयोग की ओर से जारी किया गया था, न कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से. रिपोर्ट में झूठे बलात्कार के दावों का 52% आंकड़ा सामने आया है. इनमें अदालत में सुनवाई से पहले रफा-दफा कर दिए गए मामले भी शामिल हैं, ऐसा क्यों किया गया, इसका विश्लेषण इसमें शामिल नहीं है. ऐसे मामलों का भी विशेष जिक्र नहीं है जहां पता चल सके कि शिकायतकर्ता झूठ बोल रहा था, या शिकायतकर्ता पर दबाव डाला गया हो. बीबीसी ने इन सब पर एक रिपोर्ट की थी.)
इसके साथ ही करण ये भी कहते हैं,
‘मी टू' सबसे शानदार मूवमेंट में से एक था क्योंकि इसने उन सभी कहानियों को सामने ला दिया जिसके बारे में हमें नहीं बताया गया था. ये पावर में बैठे पुरुषों के लिए एक डर के तौर पर भी काम कर रहा था. मैंने ’मी टू’ का सपोर्ट करते हुए एक ब्लॉग भी लिखा था. और दुर्भाग्य से, मैं भी एक लड़के के रूप में 'मी टू' का शिकार रह चुका हूं. मैं पूरी जिंदगी फेमिनिस्ट रहा हूं. मैं पावर ऑफ एक्सप्रेशन और बराबरी में विश्वास करता हूं. जहां तक 'मेन टू’ की बात है, आपको समझना होगा ... ‘मेन टू’ 'मी टू वर्सेज मेन टू’ नहीं है. जब आप न्याय की बात करते है तो ये सभी के लिए न्याय की बात है. और यही न्याय की परिभाषा है.
‘मेन टू’ का उद्देश्य पुरुषों के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के झूठे आरोप लगाकर कानून का दुरुपयोग करने वाली महिलाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है.
देखिए करण के साथ इस खास बातचीत का पूरा वीडियो.
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