कश्मीर से आर्टिकल 370 हटे करीब 110 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं. लेकिन बार-बार एक सवाल उठता है कि क्या वाकई घाटी में सबकुछ अब सही है? क्या कश्मीर में जिंदगी सामान्य हो गई है? अब किस ओर जा रहा कश्मीर? इन तमाम मुद्दों पर क्विंट की निष्ठा गौतम ने कश्मीर के रहने वाले पत्रकार अहमद अली फैयाज, क्विंट के पत्रकार शादाब मोइज़ी और पूनम अग्रवाल, जिन्होंने कश्मीर जाकर पूरे हालात को कवर किया है उनसे YouTube Super Chat किया. जिसमें दर्शकों ने उनसे कई सवाल पूछे.
सरकार का दावा कश्मीर में सब कुछ ठीक
गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार यानी 20 नवंबर को पार्लियामेंट के विंटर सेशन के दौरान राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात बिल्कुल सामान्य हैं, स्कूल हॉस्पिटल्स न्यूज पेपर्स छपने से लेकर कारोबार तक सब ठीक है. अगर गृह मंत्री की बात मान लें तो कश्मीर में रोजमर्रा की जिंदगी वापस पटरी पर आती दिख रही है. लेकिन कुछ रिपोर्ट्स गृह मंत्री की बातों से सहमति नहीं रखती हैं.
स्टोन पेल्टिंग यानी पत्थरबाजी को लेकर गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने भी मंगलवार को लोकसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है. लेकिन उन्हीं के दिए डेटा के अनुसार दरअसल पत्थरबाजी बढ़ी है. मंत्री के दिए डेटा के मुताबिक जनवरी से जुलाई तक हर महीने पत्थरबाजी की औसतन 51 घटनाएं हुईं, लेकिन अगस्त से नवंबर के बीच औसतन 63 घटनाएं हुईं.
“कश्मीर में ‘लॉकडाउन’ से अब तक 12,000 करोड़ का नुकसान”
कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI) ने दावा किया है कि प्रदेश में आर्टिकल 370 हटने के बाद बीते तीन महीनों के दौरान कश्मीर के व्यापार और स्थानीय व्यवसाय को करीब 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, KCCI के अध्यक्ष शेख आशिक हुसैन ने मंगलवार को कहा कि शुरुआती सर्वे से पता चलता है कि व्यवसाय में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट, मोबाइल फोन और एसएमएस सेवाओं के बंद होने से व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
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