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संदीप धालीवाल: बिजनेस छोड़ हुए थे पुलिस में भर्ती, गांव को है गर्व

अमेरिका से लेकर पंजाब के पैतृक गांव तक हीरो के रूप में याद किए जा रहे धालीवाल 

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

डिप्टी संदीप सिंह धालीवाल के निधन की खबर के बाद शोक संदेशों में से एक संदेश ये था, "धालीवाल ने सभी के लिए निस्वार्थ सेवा की सिख परंपरा को बनाए रखा और राष्ट्र का दिल छू लिया."

29 सितंबर, शुक्रवार को धालीवाल की ह्यूस्टन में एक ट्रैफिक सिग्नल पर गोली मारकर हत्या कर दी गई. संदीप सिंह धालीवाल ने एक गाड़ी रोकी, जिसमें एक महिला और एक पुरुष सवार थे. गाड़ी से एक शख्स ने निकलकर धालीवाल पर कम से कम दो गोलियां चलाईं.

संदीप सिंह धालीवाल की हत्या से समुदाय के लोग ही नहीं बल्कि अमेरिका से लेकर पंजाब के कपूरथला में मातम पसरा है.

उनके परिवार में पत्नी, तीन बच्चे, पिता और बहनें हैं.

उद्यमी से लेकर डिप्टी तक

धालीवाल के पिता अमेरिका जाने से पहले भारत में एक पुलिस अधिकारी थे. परिवार को अपने साथ लेकर वो अमेरिका शिफ्ट हो गए.

पुलिस में नौकरी से पहले, संदीप धालीवाल ट्रक का व्यवसाय चला रहे थे, जो काफी 'मुनाफे' में चल रहा था.

20 साल की उम्र में धालीवाल ने फोर्स जॉइन करने की सोची, जब उन्होंने सुना कि हैरिस काउंटी शेरिफ ऑफिस एक सिख अफसर की तलाश कर रहा है. सीएनएन के मुताबिक भले ही पैसे के मामले में ये मौका उनके लिए छोटा था, लेकिन उन्होंने इस जॉब के लिए अपना बिजनेस किसी और को बेच दिया और सिविलियन डिटेंशन ऑफिसर बन गए.

ह्यूस्टन क्रॉनिकल के मुताबिक वो टेक्सास में पहले भारतीय-अमेरिकी पुलिस अधिकारी बने. बाद में उन्होंने अपने शांति ऑफिसर का लाइसेंस हासिल किया, जो हैरिस काउंटी में पहले सिख डिप्टी बनने के लिए चल रहा था.

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द गार्डियन की रिर्पोट के मुताबिक 42 साल के धालीवाल 10 साल से हैरिस काउंटी ऑफिस में पुलिस अफसर थे और 2015 में उनका डिप्टी पद पर प्रमोशन हुआ.

2015 में CNN को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि एक सिख अमेरिकन होने के नाते ये मेरा फर्ज है कि कानून व्यवस्था में सिख समुदाय को रिप्रेजेंट करूं, इससे हमें बात करने का मौका मिलेगा.

हर पल लोगों की मदद को तैयार

शेरिफ के जॉब के अलावा भी उन्होंने कई और सामाजिक संगठनों के लिए काम किया. एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक उन्होंने यूनाइडेट सिख, जो एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा एडवोकेसी ऑर्गनाइजेशन है, उसके साथ भी काम किया.

समाजसेवा उनका जुनून था. 2017 में मारिया तूफान से हुई तबाही के वक्त उन्होंने प्यूर्टो रिको पहुंचकर राहत और बचाव के काम में हिस्सा लिया था. इसके लिए उनकी खूब तारीफ हुई थी. टेक्सास और लूइसियाना में हार्वे तूफान के वक्त आए बाढ़ के दौरान ट्रकों में भरकर जरूरी सामानों की आपूर्ति की थी.

उनके इतने योगदान के बाद सिख समाज में उनकी एक अलग छवि बन गई थी. धालीवाल का 2 अक्टूबर को अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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