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मणिपुर को इस इलेक्शन चाहिए- लाइट, कैमरा एंड एक्शन

मणिपुर में हिंदी फिल्में बैन हैं और फिल्में दिखाने के लिए पर्याप्त संख्या में थियेटर भी नहीं है

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मणिपुर में इस इलेक्शन में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि वहां कि फिल्मों में एक्शन कब लौटेगा? द पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने साल 2002 में हिंदी फिल्मों पर बैन लगा दिया था. इसके बाद यहां की रीजनल मणिपुर फिल्मों में जबरदस्त उछाल आया.

इस इंडस्ट्री की वैल्यू औसतन 10 करोड़ है और सालाना 60 फिल्में रिलीज होती हैं, लेकिन फिर भी यह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. एक बड़ा कारण ये है कि यहां सिनेमाघरों की कमी है और कोई रेवेन्यू के खास साधन भी नहीं है. 2 साल पहले इंफाल में जहां 110 थियेटर थे, अब केवल 2 रह गए हैं. ऊपर से नोटबंदी ने और कमर तोड़ दी.

इस इलेक्शन एक्टर्स और टेक्निशियन्स की सरकार से यही मांग है कि एक फिल्म सिटी बनाई जाए और इंडस्ट्री को सब्सिडी दी जाए.

कैमरापर्सन: त्रिदीप के मंडल

मल्टीमीडिया प्रोड्यूसर: पुनीत भाटिया

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