वीडियो एडिटर: पूर्णेंन्दू प्रीतम
पिछले कई सालों से अपने भविष्य को लेकर चिंतित यूपी के करीब 1 लाख 70 हजार शिक्षामित्रों की नाराजगी क्या इस लोकसभा चुनाव में पार्टियों पर भारी पड़ेगी?
सरकार से लगातार नाराज चल रहे शिक्षामित्र चुनाव के बारे में क्या सोचते हैं, ये जानने के लिए क्विंट की चौपाल लगी पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में. शिक्षामित्र पीएम मोदी और राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार से काफी नाराज दिख रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में उनकी समस्याओं को दूर करने की बात की थी, पीएम मोदी से भी आश्वासन मिला था लेकिन सत्ता में आते ही वादे भूल गई. सरकार ने उनके साथ धोखा किया है. इस बार भी चुनावी घोषणापत्र में इनका जिक्र कर वोट बटोरने की कोशिश की जा रही है.
हालात ऐसे हो गए हैं कि अब शिक्षामित्र आत्महत्या करने को मजबूर हो गए हैं. बच्चों की फीस नहीं जमा कर पा रहे हैं. सरकार ने चुनाव से पहले खूब उम्मीदें बांधी थीं. सब खत्म होता जा रहा है.नवप्रकाश सिंह, शिक्षामित्र
25 जुलाई, 2017 को ही निरस्त हुआ था समायोजन
25 जुलाई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था. उस वक्त तक शिक्षकों को हर महीने करीब 38 हजार की सैलरी मिल रही थी, जो फैसले के बाद घटकर महज 10 हजार रुपये हो गई.
क्या है इनकी मांग?
शिक्षामित्र समान कार्य, समान वेतन की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनके समायोजन तक उन्हें शिक्षक के समान वेतन दिया जाए. शिक्षामित्र अध्यादेश लाकर समायोजन की मांग कर रहे हैं. मांग ये भी है कि जो शिक्षामित्र TET (टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास कर चुके हैं, उन्हें बिना किसी लिखित परीक्षा के नियुक्ति मिले.
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