मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली जिले के कुछ इलाकों में आज भी लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी का दूषित पानी पीना पड़ता है. चांचर जिले के मझौली गांव में रोज सुबह लोगों को पानी पीने के लिए पहले गड्ढा खोदना पड़ता है. उसके बाद भी उन्हें पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिल पता है. जिसके बाद अब ग्रामीणों का गुस्सा फुट पड़ा है. ग्रामीण जिलाधिकारी के पास मटके लेकर सैकड़ों की तादाद में पहुंचे, डीएम से फरियाद करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि कलेक्टर साहब हमें पानी दिला दीजिये, नदी में गड्ढे खोदकर दूषित पानी से हम लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
पानी की किल्लत झेलने को मजबूर ग्रामीण
मध्यप्रदेश की सत्ता धारी पार्टी बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक रामलल्लू वैश्य के विधानसभा क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीण आज भी पानी की घोर किल्लत झेलने को मजबूर हैं. वहीं, चांचर, मझौली गांव के दर्जनों ग्रामीण सुबह उठकर सबसे पहले दो किलोमीटर दूर नदी में जाकर गड्ढा खोदते हैं. इसके बाद उसमें जो पानी निकलता है, उसी पानी से ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते हैं. बता दें, ग्रामीणों को यहां किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है, बल्कि हर दिन पीने के पानी की खोज में दो किलोमीटर दूर जाकर बहते नदी की धार के किनारे गड्ढा खोदना पड़ता है. ताकि जो पानी खोदे हुए गड्ढे से निकले उसे घड़ाऔर अन्य बर्तनों में भरकर अपने घर ले जा सकें.
नदी के गंदे पानी से बुझती है प्यास
प्रत्येक दिन पानी की घोर किल्लत की समस्याओं से जूझ रहे ग्रामीणों का कहना है कि पानी के लिए उन्हें चिलचिलाती धूप में 2 किलोमीटर दूरी तय करके नदी में गड्ढे खोदकर पानी निकालते है, गांव में चापाकाल तो है लेकिन उसमे पानी नहीं निकलता है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार विधायक?
क्षेत्र के विधायक रामलल्लू वैश्य ने कहा कि पाइप लाइन के जरिये हर घर तक जल पहुंचाया जा रहा है, साल डेढ़ साल के भीतर हर घर तक पानी पहुंच जायेगा, फिलहाल हैंडपंप के लिए विभाग को निर्देशित किया गया है ,जल्द ही ग्रामीणों को पानी मुहैया कराया जाएगा.
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